रांची(RANCHI ): पलामू से एक व्यक्ति रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली पहुंचता है उसके साथ उसकी चार साल की बेटी भी होती है. अचानक उसकी तबीयत खराब हो जाती है पुलिस की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. इलाज के दौरान पिता की मौत हो जाती है, तो बेटी अकेली रह जाती है. अब जाए तो जाए कहां. लेकिन पुलिस के प्रयास से उसके पलामू निवासी होने का पता चलता है. अब वह बच्ची दिल्ली से अपने घर लौट रही है. इसमें दिल्ली पुलिस, पलामू जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग के एकीकृत पुनर्वास सह - संसाधन केंद्र नई दिल्ली का योगदान है. 

 

दिल्ली में इलाज के दौरान पिता की मृत्यु के बाद बच्ची पूरी तरह से हो गई अनाथ

एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र के नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि यह बच्ची अपने पिता के साथ दिल्ली आई थी. इसके पिता काफी बीमार थे. दिल्ली पुलिस की  मदद से बच्ची के पिता को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और बच्ची को दिल्ली के एक होम में रख दिया गया. पुलिस का मकसद यह था कि उसके पिता की तबीयत ठीक होते ही बच्ची को उसके पिता को सौंप दिया जाएगा परंतु दुर्भाग्यवश इलाज के दौरान ही उसके पिता की मृत्यु हो गई और बच्ची पूरी तरह से अनाथ हो गई. पलामू जिला के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी  संध्या रानी एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार के अथक प्रयास से बच्ची की फैमिली और उनका गृह सत्यापन हो पाया.

डाक्यूमेंट्स के आधार पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी संध्या रानी से किया गया संपर्क 

पिता के कुछ डाक्यूमेंट्स मिले थे जिसमें यह पता चला कि बच्ची के पिता झारखंड राज्य के पलामू जिले के निवासी थे. होम और सीडब्ल्यूसी ने हमसे संपर्क किया और हमारे द्वारा डाक्यूमेंट्स के आधार पर  जिला समाज कल्याण पदाधिकारी संध्या रानी से संपर्क किया. डॉक्युमेंट्स को उनके पास भेजते हुए बच्ची के परिवार एवं घर का पता लगाने का अनुरोध किया. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने अपने डीसीपीओ के सहयोग से त्वरित कार्रवाई करते हुए ना केवल बच्ची के घर का पता लगाने के साथ  फैमिली का भी पता लगाया और साथ ही तुरंत एक टीम का गठन कर नई दिल्ली भेजा यह टीम जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में नई दिल्ली आई है और बच्ची को गरीबरथ से आज झारखंड ले जाने की कार्यवाही कर रही है. पलामू पहुचते ही बच्ची को CWC के माध्यम से उनके परिवार को सौप दिया जाएगा. इस टीम के साथ मानव तस्करी के शिकार हुए लातेहार की दो बच्चियों को भी उनके घर वापस भेज रहे हैं. इन बच्चियों को एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र के द्वारा रैस्क्यू कराया गया था.जिसमे निर्मला खलखो एवं राहुल सिंह के द्वारा अहम भूमिका निभाई गई थी.

 

फैमिली का पता चलते ही जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

फैमिली का पता चलते ही जिला प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया और वह टीम नई दिल्ली आकर आज बच्ची को वापस झारखंड राज्य के पलामू जिला में लेकर जा रही है. वहां इस बच्ची को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और सीडब्ल्यूसी के द्वारा बच्चे को उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा. बच्ची के भविष्य को देखते हुए पलामू जिले के डीएसडब्ल्यू और डीसीपीओ द्वारा यह बताया गया कि बच्ची को तुरंत ही स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ा जाएगा. इस योजना के तहत बच्ची को 2 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से 3 साल के लिए राशि दी जाएगी.यह राशि बच्चों के शिक्षा एवं अन्य देखभाल के लिए दी जाती है साथ ही बच्चों को हमारे ग्रामीण जिला में गठित बाल संरक्षण कमेटी को सौपा जाएगा ताकि बच्चे की सतत निगरानी की जा सके. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार ने बताया कि बच्ची को जो हानि हुआ है हम उसकी भरपाई तो नहीं कर सकते परंतु बच्चे को विभिन्न  योजनाओं से जोड़कर हम बच्चे के भविष्य को उज्जवल जरूर बना सकते हैं.