रांची(RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कम्पनी मामले में 17 जून की सुनवाई झारखण्ड हाई कोर्ट में हुई. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई पूरी हुई. इस दौरान राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि महाधिवक्ता और सरकार का पक्ष रख रहे. वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोरोना संक्रमित है, इस कारण से उन्होंने मामले की सुनवाई को स्थगित करने का आग्रह किया. कोर्ट ने उनके आग्रह को मानते हुए अगली सुनवाई 23 जून को करने को कहा, वो सुनवाई वर्चुअल माध्यम से होगी.
SC में झारखंड सरकार ने दायर की SLP
इधर, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीके महेश्वरी, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 11 जुलाई को अब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, बेला एम त्रिवेदी की बेंच में होगी। बता दें कि CM हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। यह एसएलपी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई है जिस पर आज सुनवाई हुई है। यह सुनवाई झारखंड सरकार के एक SLP पर हो रही है। बता दें कि राज्य सरकार ने शेल कंपनी से जुड़े मामले में झारखंड हाई कोर्ट के 3 जून के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह एसएलपी दायर की है। राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रहोतगी ने पक्ष रखा।
कोर्ट ने सरकार की कार्य प्रणाली पर तल्ख़ टिप्पणी की
माइनिंग लीज,शेल कंपनी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर शिव शंकर शर्मा और अरुण कुमार दुबे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई चल रही है। याचिका के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रवि केजरीवाल की संलिप्तता के आधार पर हुए पैसे के लेनदेन का उल्लेख है.अनेक महत्वपूर्ण चीजें भी हैं . कोर्ट में एडिशनल सोलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया एस वी राजू प्रवर्तन निदेशालय के पक्षकार के रूप में मौजूद रहे. शिव शंकर शर्मा के वकील राजीव कुमार ने कोर्ट से कहा कि पूर्व सीएम मधु कोड़ा के खनन घोटाला मामले में अब भी कई अभियुक्त विदेश में हैं. ऐसे में अधिक समय दिये जाने से दोनों मामलों के आरोपी फरार हो सकते हैं. सबूतों और साक्ष्यों के नष्ट होने की भी आशंका भी है. इध्रर, सरकार का पक्ष रहे वकील ने महाधिवक्ता राजीव रंजन के कोरोना संक्रमित होने के अलावा यह भी तर्क दिया गया कि रांची में शुक्रवार 10 जून की घटना के बाद से स्थिति ठीक नहीं है. इस पर भी विचार किया जाना चाहिए. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार की कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी की है.

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