गुमला(GUMLA) जिला के विभिन्न इलाकों से यूकेलिप्टस के पेड़ों की तेजी से कटाई होने के कारण चमगादड़ की संख्या काफी तेजी से घट रही है, लेकिन ऐसा होने काफी नुक्सानदायी हो सकता हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि शायद आपको पता नहीं होगा लेकिन चमगादड़ इकोसिस्टम को संतुलित रखने में बहुत कार्यगर होते हैं. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की माने तो चमगादड़ प्रकृति में कई तरह की महत्वपूर्ण कार्य करता है. यह हमारा मित्र पक्षी है. कीड़े मकौड़ों को खाता है. इसके मल से जमीन उपजाऊ होती है. बावजूद इसके लोगों को इस बात की समझ नहीं है. उन्होंने वन विभाग और सरकार से आग्रह किया है कि चमगादड़ को सुरक्षित रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए.
चमगादड़ों की आवाज से गूंजता था इलाका
बता दें कि एक समय था जब जिला के विभिन्न इलाकों में चमगादड़ की संख्या काफी अधिक हुआ करती थी. ऐसे में चमगादड़ की आवाज काफी सुनाई देती थी. वहीं लगातार चमगादड़ की घटती संख्या के कारण अब उनकी आवाज तक सुनाई नहीं देती है. जिसको लेकर लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि चमगादड़ की संख्या को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है. कुछ समय पहले गिद्धों के गायब होने से भी पर्यावरणविद् चिंतित थे. अब चमगादड़ों का गायब होना लोगों को चिंतित कर रहा है.
आवश्यक पहल की दरकार
चमगादड़ की संख्या रफ्तार से घटना चिंता का विषय है. इसको लेकर अगर सरकार की ओर से जल्द कोई पहल शुरू नहीं गयी तो आने वाले समय में चमगादड़ इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह जायेगा. बच्चे इसे किताबों में ही देख सकेंगे.
रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह, गुमला
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