टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-लोकसभा चुनाव के दिन नजीदक आते-आते सियासी तपिश भी बढ़ती जा रही है. जल,जंगल औऱ जमीन के प्रदेश में इन दिनों सियासत भी नये-नये रंग दिखा रही है. सत्ता पक्ष औऱ विपक्ष की जुबानी जंग में जनता भी बड़ी गौर से सुन रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए सरकार की कामयाबियां की फेहरिश्त गिना रही हैं, तो उस दर्द को भी साझा कर रहे हैं, जो भाजपा ईडी-सीबीआई के जरिए दे रही है. इधर, बीजेपी के प्रदेश मुखिया की कमान संभाल रहे बाबूलाल तो भ्रष्टाचार पर तो पूरे सोरेन परिवार को ही ऐसी जद में लिए है. ऐसी-ऐसी तोहमतों की बारिश कर रही हैं, कि सत्ता दल भी कभी-कभी चौक जा रहा है. जेएमएम के प्रदेश महासचिव सुप्रीय भट्टाचार्य तो आमूमन बीजेपी, आरएसएस और बाबूलाल पर निशाना साधने से नहीं चुकते.
तेज हुई सियासी जंग
चुनाव की देहरी पर देश खड़ा है. कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा. झारखंड की 14 सीटों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी तरह से कमर कस लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार आपके द्वार योजना के तहत इस चुनावी इम्तहान को पार करना चाहती है. योजनाओं की पोटली के जरिए वोट बटोरने के लिए पुरी तगड़ी तैयारी की जा रही है. साहिबगंज और पाकुड़ के कार्यक्रम के दौरान हेमंत विपक्ष पर खूब गरजे और जमकर तंज कसा . उन्होंने साफतौर पर प्रदेश में आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों की सरकार बनाने की बात कही. साफ तौरपर समझा जाए तो , जेएमएम अपनी जमीन किसी भी तरह से खिसकने देना नहीं चाहती है. सरना धर्म कोड, 1932 का खतियान, स्थानीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण और नियोजन नीति को लेकर राजनीति कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे छोड़ना नहीं चाहती.
संथाल हासिल करने की असली लड़ाई
संथाला झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ बना हुआ है. बीजेपी के बाबूलाल और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यही पर अपने पांव जमाए हुए हैं. दोनों एक दूसरे खिलाफ खूब बरस रहे हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल तो अक्सर हेमंत सोरेन सरकार को घेरने से नहीं चुकते. शनिवार को तो साहिबगंज परिसदन में यहां तक कहा दिया कि अपने वंश को कहकर जाएंगे कि कम से कम सोरेन परिवार की तरह नहीं बनना है. संथाल परगना में बांग्लादेशियों के घुसपैठ पर राज्य सरकार पर लगातार बाबूलाल बरस रहे हैं. उन्होंने एलान कर दिया कि भाजपा की सरकार बनेगी, तो छह महीने के अंदर एनआरसी लागू की जाएगी.
संथाल कब्जाने इस लड़ाई में दोनों पार्टियां जुगत लगाई हुई है. जेएमएम की इस जमीन में तो अच्छी पकड़ बनाए हुए है. हेमंत इसे योजनाओं की सौगात देकर बचाना चाहते हैं. इधर, बाबूलाल मरांडी ने अपने बहुचर्चित संक्लप यात्रा भोगनाडीह से ही शुरु किया था. जो संथाल परगना में ही आता है. लिहाजा, इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश की गई कि, उनकी सबसे बड़ी हितेषी भाजपा ही है. गौर से समझे तो झारखंड बीजेपी में बाबूलाल ही अपनी मुखर आवाज से सोरेन परिवार की फजीहत कर आंखो की किरकरी बनें हुए हैं. जमीन लूट, अवैध खनन, महिला उत्पीड़न, बालू, शराब जैसे मसले पर प्रदेश सरकार की खिंचाई लंबे समय से कर रही है. इसके साथ ही सरकार की नाकामियों की भी उजागर कर जनता को साझा कर रही है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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