धनबाद (DHANBAD) : कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ने भूमि अधिग्रहण के प्रति ग्रामीणों को आकर्षित करने के लिए अपनी नीति में बड़ा और क्रांतिकारी बदलाव किया है. इस योजना के लागू हो जाने के बाद जमीन देने वालों को अधिक आर्थिक मजबूती मिल सकती है. पहले दो एकड़ जमीन पर एक नौकरी देने का प्रावधान है. अब नौकरी नहीं लेने पर जमीन देने वालों को उस इलाके की जमीन की सरकारी मूल्य के आधार पर राशि मिलेगी. इसके अलावा प्रत्येक एकड़ पांच लाख के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. नई नीति में नौकरी नहीं लेने वालों को दो एकड़ जमीन पर न्यूनतम 89 लाख और अधिकतम 1.20 करोड रुपए भुगतान का नियम लागू किया गया है.
न्यूनतम और अधिकतम राशि उस इलाके की जमीन की कीमत पर तय होगी
न्यूनतम और अधिकतम राशि उस इलाके की जमीन की कीमत के आधार पर तय होगी. इसके अलावे दूसरी नीति के तहत जमीन देने वाला यदि एक मुश्त जमीन का पैसा नहीं लेता है और नौकरी भी नहीं लेता है, तो उसे प्रति एकड़ 5 लाख रुपए के साथ पेंशन की राशि को बढ़ाकर 44000 कर दिया गया है और यह अब 30 वर्ष नहीं ,बल्कि 45 साल तक मिलेगी. इसमें हर साल एक प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. इतना ही नहीं, इस कालखंड में अगर जमीन देने वालों की मौत हो जाती है, तो उसके आश्रित को यह पेंशन उतने दिनों तक मिलती रहेगी. कोल इंडिया बोर्ड की बैठक में इसकी मंजूरी मिल गई है.
पढ़े-लिखे लोग आ रहे है जमीन के बदले नौकरी में
दरअसल, हाल के दिनों में हो यह रहा था कि जमीन के बदले नौकरी में जो आ रहे थे. वह शिक्षित होते हैं, उनकी जनरल असिस्टेंट के पद पर बहाली होती है. अंडरग्राउंड में उन्हें गाड़ियां खींचनी पड़ती है. यह कार्य उनकी योग्यता से मैच नहीं खाता और उनका भविष्य उलझ कर रह जाता है. जमीन देने वालों को यदि नौकरी की जरूरत नहीं है तो नगद पैसा लेकर अपने हिसाब से उपयोग कर सकते है. संशोधित वार्षिक पेंशन की राशि भी बढ़ा दी गई है. जिससे किसी भी परिवार की जिंदगी आसानी से चल सकती है. इस नई नीति को समर्थन भी मिल रहा है.
राजमहल परियोजना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा
जमीन अधिग्रहण नीति में बदलाव को ईसीएल की राजमहल परियोजना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह अलग बात है कि कोल इंडिया की एक इकाई ईसीएल में जिस तरह नियम में बदलाव किए गए हैं, उसके आधार पर अन्य अनुषंगी कंपनियों में भी यह मांग उठेगी. ईसीएल को आधार बनाकर अन्य जगह के लोग भी यह मांग कर सकते है. खैर, जो भी हो लेकिन नीति में बदलाव से कई तरह के लाभ मिल सकते है. सूत्रों के अनुसार पहले एक परिवार में किसी एक व्यक्ति को ही नौकरी मिलती थी. जिससे बाकी बचे परिजनों का जीवन संघर्ष पूर्ण हो जाता था. परिवार में विवाद भी होते थे. अब मुआवजा नगद के रूप में मिलने से परिवार वाले नौकरी छोड़ नगद राशि स्वीकार करेंगे,ऐसा इस नई नीति का मकसद हो सकता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
Recent Comments