धनबाद(DHANBAD): गया पुल अंडरपास के रिवाइज्ड एस्टीमेट को झारखंड सरकार ने अनुमति दे दी है. झारखंड सरकार के इस पहल को धनबाद के लिए सौगात की संज्ञा दी जा रही है. लेकिन इसके साथ ही श्रेय लेने की सियासत भी तूफान पर है. भाजपा के ही कई दिग्गज इसका श्रेय लेने के लिए आगे आगे चल रहे हैं. सब कह रहे हैं कि उनके प्रयास से गया पुल अंडरपास के रिवाइज्ड एस्टीमेट की स्वीकृति मिली है. बहरहाल, सियासत की लड़ाई चल रही है. सियासत की इस लड़ाई में भाजपा के सांसद, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व मेयर, पूर्व वि या डा अध्यक्ष सहित अन्य शामिल है. वर्तमान सांसद ढुल्लू महतो कह रहे हैं कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस संबंध में मुलाकात की और इसकी गंभीरता को बताया था.
सबके अपने -अपने दावे ,पढ़िए कौन क्या कह रहा
पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह कुछ नहीं कह रहे हैं ,लेकिन उनके समर्थक सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर बता रहे हैं कि पशुपतिनाथ सिंह ने तीन-चार साल पहले से इसके लिए प्रयास शुरू किया था. तो पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल कह रहे हैं कि धनबाद नगर निगम की अंतिम बैठक में उन्होंने प्रस्ताव पारित कराकर झारखंड सरकार के पास भेजा था. विधायक राज सिंहा कह रहे हैं कि उन्होंने विधानसभा में मामला उठाया था. पूर्व वि या डा अध्यक्ष विजय झा कह रहे हैं कि उन्होंने इससे संबंधित पीआईएल दायर किया था. मामला सिर्फ गया पुल अंडरपास के रिवाइज्ड ऐस्टीमेट की स्वीकृति की है ,लेकिन श्रेय लेने की होड़ मची हुई है. इससे एक संदेश भी निकलता है कि सम्मिलित रूप से अगर सभी नेता कार्यकर्ता, पक्ष के हो अथवा विपक्ष के, प्रयास करें तो धनबाद का विकास संभव है .इस संबंध में धनबाद के एक बुजुर्ग ने बड़ा सटीक प्रश्न किया है. कहा है कि 2024 में झारखंड विधानसभा का चुनाव हुआ है. अभी यह सरकार 2029 तक निश्चित रूप से रहेगी.
पक्ष -विपक्ष के नेता को विकास की इतनी ही चिंता है तो ऐसा क्यों नहीं करते
अगर धनबाद के पक्ष, विपक्ष के नेताओं को विकास की इतनी ही चिंता है ,तो कम से कम पांच बड़े कामों का चयन कर लें और उनका पूरा करने के लिए सम्मिलित रूप से प्रयास करें .तो यह पूरे देश में एक नजीर बन सकती है. लेकिन जिस काम की अनुमति सरकार से मिल गई है, उसे काम के लिए श्रेय लेने की इस होड़ का कोई मतलब नहीं रह जाता. आपको बता दें कि यह काम भी एक साल के लंबे इंतजार के बाद हुआ है. गया पुल के नए अंडरपास के लिए संशोधित बजट पर झारखंड सरकार की कैबिनेट ने अपनी मोहर लगा दी है .अब टेंडर डालने वाली कंपनी को 20% अधिक रेट पर पथ निर्माण विभाग इसका टेंडर आवंटित कर सकता है .25 करोड़ की योजना के लिए टेंडर डालने वाली छत्तीसगढ़ की कंपनी 20% अधिक रेट पर टेंडर डाला था. 25 करोड़ की योजना 30 करोड़ की हो गई थी. ऐसे में लगभग 5 करोड़ अधिक राशि के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी थी. अब मंजूरी मिलने के बाद इस योजना के धरातल पर उतारने का रास्ता साफ हो सकता है.
गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे पास किया गया
रांची में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे पास किया गया है .पिछले एक साल से यह योजना कैबिनेट मंजूरी के इंतजार में लटकी हुई थी. गया पुल चौड़ीकरण का मुद्दा कई सालों से चुनाव में उठता रहा. लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. इस योजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को रेलवे से जमीन अधिग्रहित करनी पड़ेगी. बात लगभग तय हो गई है. इस एवज में पथ निर्माण विभाग लगभग 6 करोड रुपए का भुगतान रेलवे को करेगा. खैर धनबाद के लिए यह बड़ी उपलब्धि जरूर है, लेकिन नेताओं में जिस ढंग से श्रेय लेने की होड़ मची हुई है, इसको देखते हुए सवाल भी किए जा रहे हैं. पूछे जा रहे हैं कि श्रेय लेने की होड़ में आगे निकलने की चाहत आखिर नेताओं में इस तरह क्यों है? क्या उनकी यह जवाबदेही नहीं है? आखिर इसी के लिए तो उन्हें जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है.
रिपोर्ट -धन्यबद ब्यूरो
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