धनबाद (DHANBAD) :  क्या बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड के पक्ष में साक्ष्य  जुटाने  में पुलिस फेल हो गई? अगर संजीव सिंह और दूसरे लोग कातिल नहीं, तो कौन है नीरज सिंह सहित चार का हत्यारा? यह सब सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे है. जिन लोगों पर हत्या के आरोप लगे, उनके खिलाफ क्या  पुलिस को सबूत नहीं मिले? 21 मार्च 2017 को स्टील गेट में फायरिंग की घटना को अंजाम किसने दिया था? फैसले में न्यायाधीश ने अभियोजन की ओर से पेश किए गए सभी 37 गवाह और बचाव पक्ष के पांच गवाहों तथा दो कोर्ट विटनेस की गवाही की विवेचना की है. इस हत्याकांड के बाद सिटिंग विधायक होने के बावजूद संजीव सिंह को अपनी ही पार्टी के शासन में जेल जाना पड़ा था. पूरा धनबाद नीरज सिंह मर्डर केस के फैसले के इंतजार में था.  

कोर्ट में पुलिस की थ्योरी धराशाई हो गई

लेकिन जब फैसला आया तो पुलिस की थ्योरी कोर्ट में धराशाई हो गई. संकेत मिल रहे है कि यह मामला यहीं खत्म नहीं होने जा रहा है. सत्र न्यायालय का फैसला आने के बाद दूसरा पक्ष हाईकोर्ट जा सकता है. जजमेंट की कॉपी मिलते ही रघुकुल सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है. दूसरी ओर बरी  हुए आरोपियों की ओर से भी उच्च न्यायालय में कैविएट दायर की जा सकती है. लोग बताते हैं कि यह मामला निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा. फैसला किसी के पक्ष में आए, दूसरा पक्ष निश्चित रूप से सर्वोच्च न्यायालय तक ले कर जाएगा. इस हत्याकांड के फैसले पर झारखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक की नजर टिकी हुई थी. नीरज सिंह और संजीव सिंह का पैतृक घर यूपी के बलिया में है. दोनों परिवारों का यूपी से गहरा नाता रहा है. 

फैसला जानने के लिए धनबाद से लेकर  यूपी तक थी उत्सुकता 
 
नीरज सिंह मर्डर केस का फैसला जानने के लिए धनबाद से लेकर यूपी के लोग उत्सुक थे. उत्तर प्रदेश से शूटरों  के तार भी पुलिस अनुसंधान में आये थे. बता दें कई 21 मार्च "2017 को धनबाद के सरायढेला के स्टील गेट में नीरज सिंह, उनके पीए अशोक यादव, ड्राइवर घल्टू महतो और अंगरक्षक मुन्ना तिवारी की हत्या कर दी गई थी. इस घटना ने कोयलांचल को झकझोर दिया था. हत्याकांड में गोलियों की बारिश की गई थी. 21 मार्च '2017 को नीरज सिंह अपनी गाड़ी से अपने घर लौट रहे थे. इसी दौरान घात लगाए अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. सैकड़ों राउंड फायरिंग की गई. घटनास्थल पर ही चारों लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद कोयलांचल में सन्नाटा पसर गया था. झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह ने  थाने में सरेंडर किया था. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था.