दुमका (DUMKA) : चंद दिनों बाद दुमका ही नहीं पूरे देश में रंगों का त्यौहार होली आने वाला है. इसको लेकर बाजार की रौनक बढ़ गई है. लोगों घरों से निकल कर बाजार में होली की खरीददारी कर रहे है. लेकिन इस सबके बीच दुमका ही नहीं पूरे संताल परगना प्रमंडल में संताल आदिवासी समाज के लोग बाहा पर्व मना रहे है.

दिसोम जाहेर थान में आयोजित बाहा पर्व में बाहा नृत्य की हुई प्रस्तुति

रविवार को दुमका के दिसोम जाहेर थान में दिसोम मांझी बाबा बेनीलाल टुडू के नेतृत्व में विधि विधान के साथ दिसोम बाहा पर्व मनाया गया. दिसोम नायकी बाबा सीताराम सोरेन की अगुवाई में सैकड़ों मरांग बुरू भक्तों के साथ बाहा पूजा सम्पन्न हुई. कार्यक्रम में संताल परगना के विभिन्न क्षेत्रों से आतो मोड़ें होड़ समेत आसपास के गांव से युवक-युवतियां शामिल हुए. पूजा के दौरान मुर्गा की बलि दी गई, जिसे खिचड़ी में मिलाकर सामूहिक रूप से प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. कार्यक्रम के दौरान आयोजित बाहा नृत्य में काफी संख्या में लोग शामिल हुए. ज्ञात हो कि बाहा पर्व में संताल समाज के लोग रंग के बदले एक दूसरे पर सादा पानी उड़ेलते हैं.

संताल आदिवासी समाज का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है बाहा

बाहा पर्व संताल आदिवासी का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है. आदिकाल से ही संताल समाज का जुड़ाव प्रकृति के साथ रहा है. वह उन्हें ही भगवान मान कर पूजा करते आए हैं. बाहा पर्व फागुन महीने में मनाया जाता है. फागुन आते ही पेड़ों पर नए फूल और पत्तियां खिल उठते हैं. चारों ओर पक्षियां चहचहाने लगती है. ऐसे लगता है कि मानो प्रकृति मनुष्य के स्वागत के लिए तैयार है. मान्यता है कि पेड़ों से नए फल-फूल, जंगलों और पहाड़ों से लकड़ी लेने के पूर्व मरांग बुरू, जाहेर एरा, मोड़ें-तुरुय को, गोसांय एरा आदि का पूजा कर बाहा पर्व के रूप में मनाते हैं. तत्पश्चात जरूरत के हिसाब से प्रकृति का उपभोग करते हैं.

मौके पर सुरेशचंद्र सोरेन, टेकलाल मरांडी, नीलेश हांसदा, चंद्रनाथ हेंब्रम, राजीव बास्की, मुकेश RDX टुडू, सनातन किस्कू, पिंकी किस्कू, झुमरी सोरेन, अंजनी बेसरा, बुधराई हेंब्रम, प्रेम हांसदा, मोहन टुडू, लाइन्दु मुर्मू, शिवकांत मुर्मू, लवकिशोर टुडू, सन्नी देओल बास्की आदि मौजूद रहे.

रिपोर्ट-पंचम झा