धनबाद(DHANBAD): झारखंड में सच में मोतियाबिंद के इतने मरीज है या कोई बड़ा खेल हो रहा है. झारखंड में मोतियाबिंद के ऑपरेशन का क्या कोई अलग गणित है, यह समझना थोड़ा कठिन है. आंकड़े तो कहते हैं कि इलाज में कहीं ना कहीं कोई झोल है. झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे अधिक इलाज मोतियाबिंद का ही क्यों होता है. आखिर क्या वजह है कि सभी अस्पताल वाले इसी बीमारी को चुनते हैं. क्या इसके ऑपरेशन में गड़बड़ी करना आसान है. ऐसे कई सवाल हैं जो झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत हो रहे मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर सवाल खड़े करते हैं.
मोतियाबिंद ऑपरेशन का आंकड़ा क्या कहता है
उपलब्ध एक आंकड़ा के अनुसार सितंबर 2022 में झारखंड में जितने आयुष्मान योजना के तहत इलाज हुए उनमें 41% मोतियाबिंद का ऑपरेशन का था. अक्टूबर 22 में यह आंकड़ा 37%, नवंबर 22 में 52%, दिसंबर 22 में 51%, जनवरी 23 में 51% ,फरवरी 23 में कुल इलाज का 54% मोतियाबिंद के ऑपरेशन का आंकड़ा था. 13 जून को जब झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी ने कुछ शर्तें लागू की तो यह आंकड़ा अचानक घट गया. झारखंड के 13 जिलों में तो यह आंकड़ा शून्य के करीब पहुंच गया. इन जिलों में चतरा ,गढ़वा, देवघर, दुमका ,हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा, लातेहार, पलामू, रामगढ़, सरायकेला और सिमडेगा शामिल हैं. धनबाद में भी जुलाई 2023 में यह आंकड़ा 2.65 प्रतिशत पर पहुंच गया.
आरोग्य सोसाइटी की शर्तें हटते ही ऑपरेशन का आंकड़ा बढ़ा
झारखंड आरोग्य सोसाइटी की दो महत्वपूर्ण शर्तों को हटते ही अगस्त 2023 में पूरे झारखंड में आयुष्मान के तहत मोतियाबिंद के ऑपरेशन का आंकड़ा बढ़कर 26% हो गया है. हालांकि शर्त लागू होने के पहले पूरे झारखंड में यह आंकड़ा 54% तक पहुंच गया था. आखिर क्या वजह है कि शर्तें लागू होने पर आंकड़ा घट गए और फिर हटते ही आंकड़ा में बढ़ोतरी हो गई. क्या शर्तें लागू होने पर मरीजों की संख्या कम हो गई या मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर जो खेल हो रहा था , उसपर रोक लग गई.
क्या झारखंड में मरीज के इलाज में भी हो रहा खेल
अभी हाल ही में खुलासा हुआ था कि धनबाद में बंद पैथोलॉजिकल क्लीनिक के नाम पर सर्टिफिकेट लेकर धनबाद के एक क्लीनिक ने कई मरीजों का ऑपरेशन किया. यह भी खुलासे होते रहे हैं कि एक ही डॉक्टर के हस्ताक्षर से एक ही समय में कई मरीजों का ऑपरेशन किया गया. तो क्या झारखंड में मरीज के इलाज में भी कोई खेल हो रहा है. यह तो गंभीर जांच का विषय है. पूरे झारखंड में विशेष टीम बनाकर जांच करने की जरूरत महसूस की जा रही है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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