रांची(RANCHI)- राज्य सरकार द्वारा पारित की गयी नियोजन नीति को झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा रद्द किये जाने के बाद हेमंत सरकार बैकफूट पर है, राज्य सरकार की कोशिश 2016 के पहले की नियोजन नीति को स्वीकार आगे बढ़ने की थी, जिससे कि राज्य में बहाली की प्रक्रिया एकबार शुरु की जा सके और वह चुनाव के समय युवाओं को नौकरी देने के अपने बहु प्रचारित दावे को पूरा कर सके.
क्या झूठा निकला अभ्यर्थियों से संवाद का दावा
हालांकि राज्य सरकार ने यह दावा किय़ा था कि इस बार राज्य के युवाओं और अभ्यर्थियों से संवाद कायम नयी नियोजन नीति को लायेगी, नियोजन नीति में युवाओं की आकांक्षाओं का प्रतिबिम्बन भी होगा और साथ ही कानूनी अड़चने भी दूर की जायेगी, यही सोच कर सरकार ने 2016 के पहले की नियोजन नीति को स्वीकार करने का फैसला किया था, राज्य सरकार का दावा रहा कि इस नियोजन नीति को लाने के पहले उसने लाखों अभ्यर्थियों से रायसुमारी की है. उनकी इच्छाओं और मांगों को नयी नियोजन नीति में समाहित किया गया है.
लेकिन नयी नियोजन नीति की घोषणा के बाद भी जारी है बवाल
लेकिन अभी कैबिनेट की बैठक से इस नियोजन नीति को स्वीकृति ही मिली थी कि पूरे राज्य में एक बार फिर से बवाल मचता दिख रहा है, युवा 60:40 के इस नियोजन नीति के विरोध में ट्विटर पर सक्रिय है, 60-40 नाय चलतो का नारा ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है.
रामगढ़ उपचुनाव की बड़ी वजह नयी नियोजन नीति
जानकारों का मानना है कि रामगढ़ उपचुनाव की एक बड़ी वजह राज्य सरकार की नई नियोजन नीति भी थी, यहां बता दें कि रामगढ़ उपचुनाव में करीब एक दर्जन छात्र नेताओं ने पर्चा भरा था. माना जाता है कि राज्य के युवाओं के बीच इस नियोजन नीति को लेकर काफी नाराजगी है, युवा 60-40 के इस अनुपात को मानने को तैयार नहीं है, साथ ही राज्य सरकार के द्वारा स्थानीय रीति रिवाज के बैरियर को हटाना भी युवाओं में आक्रोश पैदा कर रहा है. वह इसे झारखंड की अस्मिता के साथ समझौता मान रहे हैं, उनकी मांग खतियान के आधार पर ही नियोजन नीति को लाने की है. साथ ही दूसरे राज्यों की तरह स्थानीय भाषा-संस्कृति की जानकारी को अनिवार्य बनाने की है.
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