रांची(RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बड़ा संदेश इस रामनवमी के मौके पर दिया है.यह संदेश है धार्मिक भाईचारा और व्यक्तिगत निष्ठा का. रामनवमी से पहले भी उन्होंने यह संदेश पूरे राज्य के लोगों और राजनीतिक दलों को देने का प्रयास किया है. इसकी चर्चा तेज हो रही है. राजनीतिक चश्मे से देखने वाले लोग अलग-अलग तरह से इसे देख रहे हैं. पर समाज का एक बड़ा वर्ग मुख्यमंत्री के कर्म और धर्म से काफी खुश है. रामनवमी पर तो मुख्यमंत्री ने ऐसा संदेश लोगों को दिया है कि लोग इसे याद रखेंगे.

तपोवन मंदिर क्षेत्र के विकास के लिए 14 करोड़ रुपए का बजट

बुद्धिजीवियों का कहना है कि मुख्यमंत्री इतने बड़े राम भक्त होंगे, ऐसी कल्पना शायद कम ही लोगों ने की होगी. राम नवमी के पावन मौके पर मुख्यमंत्री तन मन से राम भक्त दिखे. तपोवन मंदिर पहुंचकर उन्होंने भगवान राम,सीता मैया, बजरंगबली और अन्य देवताओं की पूजा अर्चना की. बड़े भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ उन्होंने भगवान का ध्यान किया. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यह घोषणा भी की है कि प्रसिद्ध तपोवन मंदिर और आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से विकसित होगा. अगले साल रामनवमी के मौके पर लोग बदलाव देख पाएंगे.सरकार ने हाल में इसके लिए 14 करोड़ रुपए का बजट रखा है.और पैसे की जरूरत होगी तो सरकार देगी. पैसे की कहीं कोई कमी नहीं रहेगी.

 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महज एक सप्ताह पूर्व तपोवन मंदिर क्षेत्र के विकास की आधारशिला रखी है. रामनवमी के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने इसका जिक्र किया. हिंदू समाज उनके इस प्रयास और घोषणा से काफी प्रसन्न है. राजनीतिक तौर पर अक्सर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने विरोधियों के निशाने पर रहते हैं. मुख्यमंत्री पर भाजपा की ओर से अक्सर तुष्टीकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाया जाता है. मुख्यमंत्री का फरवरी, 2021 में दिया गया एक बयान हिंदू समाज के लोगों को थोड़ा अच्छा नहीं लगा था. उसमें उन्होंने कहा था कि 'आदिवासी कभी हिंदू नहीं थे'. इसको लेकर मुख्यमंत्री समाज के एक बड़े वर्ग और कुछ राजनीतिक दलों के आलोचना के पात्र बने थे. पर, ऐसा नहीं है. बहुत सारे आदिवासी समाज के लोगों ने कहा था कि मुख्यमंत्री यह गलत कह रहे हैं. सनातन धर्म के धर्मावलंबी भी आदिवासी रहे हैं. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने फरवरी,2021 में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान की आलोचना करते हुए कहा था कि आदिवासी हमेशा से हिंदू रहे हैं. उस समय मुख्यमंत्री के बयान को राजनीतिक महत्व के दृष्टिकोण से देखा गया.

मुख्यमंत्री हिंदू धर्म के प्रति असीम आस्था रखते हैं

बुद्धिजीवियों का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन धर्म और पंथ के प्रति समान आस्था रखते हैं. आदिवासी पर्व हो या फिर हिंदू धर्म, सभी में वे श्रद्धा और भक्ति के साथ शामिल होते हैं. छठ महापर्व हो या फिर दुर्गा पूजा जैसे पर्व वे मनाते रहे हैं. धार्मिक स्थलों का भी वे दौरा करते रहते हैं. बाबा धाम हो या रजरप्पा मंदिर या फिर दिउड़ी मंदिर, सभी जगह मुख्यमंत्री जाते रहे हैं और पारंपरिक पूजा अनुष्ठान में भाग लिए हैं. यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री हिंदू धर्म के प्रति असीम आस्था रखते हैं. कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि हिंदू धर्म के प्रति इतनी निष्ठा बहुत कम ही राजनेताओं में होती है. औपचारिकता निभाना अलग बात है लेकिन श्रद्धा और भक्ति भाव का सम्मिश्रण अलग मायने रखता है.

भाजपा दल के एक नेता ने भी की मुख्यमंत्री की तारीफ 

इस बार रामनवमी के मौके पर मुख्यमंत्री ने रांची के तपोवन मंदिर में पूजा अर्चना के बाद लोगों को संबोधित भी किया और जय श्रीराम के नारे भी लगाए. इतना ही नहीं जब वे वापस आवास आ रहे थे तब उन्होंने रास्ते में चलती गाड़ी से निकल कर सड़कों पर चल रहे हैं राम भक्त और जुलूस में शामिल लोगों को शुभकामना दी और जय श्री राम के नारे लगाए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह व्यवहार संगठनों को बहुत अच्छा लगा है. इसके अतिरिक्त अन्य लोग भी मुख्यमंत्री के भक्ति भाव की तारीफ कर रहे हैं. राजनीतिक क्षेत्र में मुख्यमंत्री का विरोध करने वाले भाजपा या अन्य दलों के लोगों को यह चौंकाने वाला वाकया हो सकता है. एक भाजपा नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मुख्यमंत्री जन भावना के अनुरूप कार्य कर रहे हैं. यह समाज के लिए बेहतर है. बहरहाल, मुख्यमंत्री का रामनवमी के मौके पर दिया गया हर तरह का संदेश सराहना बटोर रहा है. सभी लोग तारीफ कर रहे हैं.यह अलग बात है कि कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया हो. वैसे हम यह जरूर करना चाहेंगे की राजा का कोई एक धर्म नहीं होता है बल्कि वह सभी धर्मों का सम्मान करता है.