रांची(RANCHI): दुनिया में जल जंगल जमीन की रक्षा और इसके असली मालिक अगर कोई है तो वह आदिवासी है. लेकिन आज आदिवासी अपने वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ रहे है. झारखंड में आदिवासी की बदहाली की तस्वीर तो सभी ने देखी. खूब हंगामा हुआ. चुनाव के समय आदिवासी स्मिता का मुद्दा भी खूब उठा, और अब बिहार में पांच लोगों को जिंदा जला दिया गया. इस पर अब सवाल उठ रहा है कि आखिर आदिवसी कहा जाए. किस राज्य में वह सुरक्षित है. कैसे आदिवासी बचेंगे. कहीं चोरी का आरोप लगा कर पिटाई कर दी जाती है तो अब बिहार के पूर्णिया में जिंदा जला दिया गया.

सबसे पहले पूरी घटना के बारे में जान लेते है. दिन सोमवार और समय शाम के चार से पाँच बज रहे थे. एक भीड़ आती है और एक परिवार पर हमला कर देते है. देखते ही देखते भीड़ से आवाज आई. जिंदा जला दो. इसके बाद कुछ लोग तेल लेकर आते है और फिर जो हुआ. उसे जान कर पूरे देश की रूह कांप उठी. देर शाम होते होते खबर हर जगह पहुँच गई की  पूर्णिया के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के टेटगामा गांव में पाँच लोगों को आग लगा कर खत्म कर दिया गया.  

इस वारदात की वजह जो निकल कर सामने आई है. उसमें बताया जा रहा है कि गांव के ही रामदेव उरांव के पुत्र की झाड़ फूक और इलाज के दौरान तीन दिन पहले मौत हो गई और दूसरे बच्चे की भी तबीयत बिगड़ रही थी. गांव के लोगों ने मौत की वजह डायन को बताया और डायन के आरोप में एक ही परिवार के पांच लोगों को खत्म कर दिया. मरने वालों में बाबूलाल उरांव , सीता देवी ,मनजीत उरांव ,रनिया देवी और तपतो मोसमत शामिल है. यह सब एक ही परिवार के हैं. घटना के बाद इलाके में दहशत फैल गई है. गांव के लोग घर छोड़कर चले गए हैं. एक सन्नाटा पूरे इलाके में फैल गया है.  

पुलिस ने इस मामले में नकुल कुमार की गिरफ्तारी की है. जिस पर आरोप है कि उसने जिंदा जलाने के लिए उकसाने का काम किया. वहीं मृतक के एक मात्र वारिश ललित ने बताया कि पूरे परिवार को पीट पीट कर जिंदा जला दिया और डायन का आरोप लगाया. किसी तरह हम जान बचाकर वहां से भाग निकले. ललित ने बताया कि जलाकर सबको पानी में फेंक दिया.

पूर्णिया के सदर एसडीपीओ पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि इस मामले अब तक दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जबकि सभी पांच मृतकों के शव को बाहर निकाल लिया गया है. उन्होंने कहा कि घटना गंभीर है और वारदात को अंजाम देने वाले एक भी लोग बख्शे नहीं जाएंगे. 

ऐसे अब सवाल उठने लगा कि आखिर कैसे और कहाँ आदिवासी सुरक्षित होंगे. वह कहाँ जाएंगे. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी बिहार के मुख्यमंत्री को मामले को गंभीरता से लेते हुए. दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है. अब पाँच लोगों की ज़िंदगी डायन बता कर की गई है. तो आखिर आदिवासी कहा जाएंगे. कौन बचाएगा.