TNP DESK- झारखंड मुक्ति मोर्चा का 13वां केंद्रीय महा अधिवेशन रांची में होना है ,लेकिन इस बार ये अधिवेशन पिछले के तुलना में कुछ खास होने वाला है. जाहिर है झामुमो के अंदर इस  अधिवेशन को लेकर कार्यकर्ताओं में विशेष जोश देखा जा रहा है. दरअसल ये पहला मौका है जब सूबे में झामुमो की सरकार है . पार्टी के कार्यकारी मुखिया हेमंत सोरेन और पार्टी सुप्रीमो गुरु जी खास तौर पर इस महाधिवेशन के जरिए पार्टी को सूबे में मजबूत करने के अलावा कुछ बड़े बदलाव की घोषणा कर सकते हैं . कयास लगाए जा रहे हैं कि एक तरफ झामुमो जहां जिला और प्रखंड स्तर पर कुछ नया प्रयोग किया है वही शीर्ष लेबल पर भी कुछ बड़ा निर्णय ले सकता है . इस बार  कई बदलाव केंद्रीय कमेटी में देखने को मिल सकता है. इस बार कई बड़े नेता भाजपा छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुए हैं . साफ है कि पार्टी की  नई कमेटी इस बार नई तेवर के साथ दिखेगी इन सब के बीच कल्पना सोरेन भी चर्चा के केंद्र में है. 

अधिवेशन में पारित किए जा सकते हैं कई प्रस्ताव 

बता दे कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के अधिवेशन को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. तैयारी का जायजा लेने खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम स्थल पहुंचे थे. इस दौरान बारीकी से तमाम चीजों की जानकारी ली. ऐसे में अब अधिवेशन को काफी कम समय बचा है. संगठन में तमाम प्रस्ताव तैयार है. बस जब अधिवेशन होगा तो इसे पारित किया जाएगा. कई बदलाव इस बार देखने को मिलेगा. इस अधिवेशन के बाद आने वाले बिहार चुनाव में भी  झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी ताकत दिखाते हुए नजर आ सकती है.  संभवत जिसका नेतृत्व फायर ब्रांड नेता और  विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन के हाथों में जा सकता है.

कल्पना मुर्मू सोरेन का नेतृत्व क्षमता काफी बेहतर है जिसकी तस्वीर लोकसभा और झारखंड के विधानसभा चुनाव में देखने को मिली है. कल्पना सोरेन जब भाषण देती थी तो भीड़ उन्हें सुनती थी. 5 से 7 घंटे तक कल्पना सोरेन का इंतजार समर्थक करते हुए दिखे हैं. जिसका परिणाम भी चुनाव रिजल्ट में सामने आ गया. लोकसभा में पांच आदिवासी सीटों पर जीत दर्ज हुई और विधानसभा चुनाव में अब तक के सबसे बड़ी जीत गठबंधन को मिली. वैसे तो कई नेता मैदान में डटे थे लेकिन कल्पना मुर्मू सोरेन को लोग अलग-अलग अंदाज में देख रहे थे और कई लोगों ने तो झारखंड की इंदिरा कल्पना को नया नाम दे दिया था.

कल्पना को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी 

अब जब अधिवेशन हो रहा है तो कल्पना मुर्मू सोरेन को बड़ी जिम्मेदारी सौंपा जा सकता है जिसमें पार्टी और मजबूत हो साथ ही दूसरे राज्यों के चुनाव में कल्पना को पेश किया जाएगा जहां इनका जलवा देखने को मिल सकता है सभी पार्टी के नेताओं को भी पता है की कल्पना सोरेन कद कितना बड़ा हो गया है.

कल्पना सोरेन की सबसे बड़ी मजबूती यह भी है कि यह कई भाषाओं की जानकारी है. जिस इलाके में जाती हैं वहां उसी भाषा में बात करती हैं जो कोई और नहीं कर सकता. सीधे कल्पना सोरेन इन तमाम भाषाओं की वजह से जनता से सीधी कनेक्ट होती हैं. चाहे अंग्रेजी की बात कर ले या हिंदी और हिंदी में भी मगही, संथाली ओड़िआ, बंगाली सभी भाषाओं की जानकारी कल्पना सोरेन को है जो एक मजबूत कड़ी के रूप में उनके पास मौजूद है. 

संभावना जताई जा रही है कि अधिवेशन में कल्पना मुर्मू सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष कि जिम्मेदारी सौंप जा सकती है. हालांकि उसकी कोई अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं है लेकिन कल्पना सोरेन का जलवा पूरे झारखंड में लोगों ने देखा है और अब  झारखंड से  बाहर भी उनका जलवा और पार्टी को एक नेशनल पार्टी बनाने की दिशा में कारगर साबित हो सकता है. जब झारखंड दिवस दुमका में मनाया जा रहा था तब मंच से ही हुंकार भरी गई थी कि अब झारखंड से बाहर निकल कर भी पार्टी अपना जलवा दिखाएगी. 

बता दे की 14 और 15 अप्रैल को केंद्रीय अधिवेशन होना है. इसकी तैयारी पूरी हो गई है. पहली बार झारखंड के अलावा उड़ीसा बंगाल और बिहार के साथ-साथ अन्य कई राज्य के नेता अधिवेशन में शामिल होने पहुंच रहे हैं.