टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : क्या अब नक्सल संगठन में कुछ भी पहले जैसा नहीं रह गया है? क्या अब उच्च पदस्थ नक्सली महिला कैडरों का यौन शोषण कर रहे हैं? क्या जंगल में महिला कैडरों को शिकार बनाया जा रहा है? एसपी के एक बयान के बाद अब कई सवाल उठ रहे हैं. सारंडा जंगल में कई बड़े माओवादी मौजूद हैं. इनके खात्मे के लिए सुरक्षा बलों का बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है. इसी बीच दो कुख्यात नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. जिसके बाद पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को जानकारी दी और पूरे अभियान की कहानी बताई. लेकिन इसमें उन्होंने यह भी दावा किया है कि केंद्रीय समिति का सदस्य अनल दा महिला कैडरों का यौन शोषण कर रहा है और कई महिलाओं को गर्भवती कर चुका है.
आइए आपको पूरी कहानी बताते हैं. रविवार का दिन था जब अचानक पश्चिमी सिंहभूम के एसपी को एक फोन आया और उन्हें सूचना मिली कि माओवादियों का एक समूह सारंडा इलाके में घूम रहा है. जिसका इरादा आईईडी लगाकर जवानों को नुकसान पहुँचाना है. जिसके बाद एक टीम गठित की गई और कार्रवाई शुरू की गई. जिसमें झरियाकेला थाना क्षेत्र से सब जोनल कमेटी सदस्य संदीप और एरिया कमेटी सदस्य शिवा को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार दोनों नक्सलियों पर 40 से ज़्यादा मामले दर्ज हैं. उन्होंने कई बड़े अपराधों को अंजाम दिया है. ऐसे में चाईबासा पुलिस के लिए यह एक बड़ी कामयाबी थी.
दोनों ही नक्सली बेहद कुख्यात हैं और इनमें से एक सब-ज़ोनल कमांडर छत्तीसगढ़ का है. लेकिन पिछले 10 सालों से वह झारखंड में रहकर नक्सली वारदातों को अंजाम दे रहा था. वह झारखंड-ओडिशा सीमा पर विस्फोटक लूटने में भी शामिल रहा है. इसी बीच, दोनों से पूछताछ की गई, जिसमें पुलिस कप्तान ने बताया कि अनल दा महिला नक्सलियों का यौन शोषण कर रहा है. उसने कई महिलाओं को गर्भवती किया है और फिर उनका जबरन गर्भपात कराया है. एसपी के इस बयान से हड़कंप मच गया है. हालांकि, ये दावे एसपी के हैं.
अब अगर अनल दा की बात करें तो इसी जंगल में उसके साथ कई बड़े नक्सली छिपे हुए हैं. सरकार ने उन पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है. झारखंड के सबसे बड़े नक्सलियों में उसकी गिनती होती है. लेकिन जो गंभीर आरोप और खुलासे हुए हैं, वे अपने आप में चौंकाने वाले हैं कि नक्सलवाद किस रास्ते से शुरू हुआ और कहाँ तक पहुँच गया है.
आपको बता दें कि सारंडा जंगल सबसे बड़ा जंगल है. यहा से नक्सली आसानी से ओडिशा की ओर चले जाते हैं. जब अन्य जगहों पर कार्रवाई होती है, तो सारंडा जंगल उनका ठिकाना बन जाता है. इस बीच, जंगल में बैठकर बड़े नक्सलियों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया है. कई जवान शहीद भी हुए हैं, लेकिन पिछले दो सालों से झारखंड जगुआर, कोबरा, सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस के जवान जंगल में नक्सलियों को आक्रामक तरीके से कड़ी टक्कर दे रहे हैं. जिससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में उनका साम्राज्य ध्वस्त हो जाएगा.
पुलिस भी बार-बार अपील कर रही है कि हम खून-खराबा नहीं चाहते, नक्सली सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएं और अपना आगे का जीवन सही तरीके से जिएं. राज्य सरकार भी कई सुविधाएं देगी, लेकिन हथियारों के बल पर वे यह लड़ाई कभी नहीं जीत सकते.
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