टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि मंईयां योजना की राशि लाभुकों के खाते में भेजी जा रही है. लेकिन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई झारखंड सरकार की मंईयां योजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है. विभाग भले ही सुचारू क्रियान्वयन का दावा कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. राज्य की लाखों महिलाओं का कहना है कि अभी तक उन्हें मंईयां योजना का राशि नहीं मिली हैं, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ रहा है.
विभाग के दावे और जमीनी हकीकत
वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग का दावा है कि अधिकांश पात्र महिलाओं को किस्त जारी कर दी गई हैं, और शेष लाभार्थियों को भुगतान में तकनीकी कारणों से थोड़ी देरी हो रही है. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों से मिली शिकायतें इस दावे की पोल खोलती हैं. कई जिले जैसे पलामू, रांची, हजारीबाग, कोडरमा के कई लाभुकों का कहना है कि उन्हें योजना की किस्त का भुगतान नहीं किया गया है.
बैंक और तकनीकी समस्याओं का दिया गया हवाला
विभाग के सूत्रों का कहना है कि आधार लिंकिंग, बैंक खाते की त्रुटियां और डेटा सत्यापन में देरी जैसी समस्याओं ने भुगतान प्रक्रिया में बाधा डाली है. लेकिन असली वजह योजना की निगरानी और डेटा प्रबंधन प्रणालियों की कमज़ोरी है.
महिलाएं चिंतित, उम्मीदें अधूरी
मंईयां योजना की राशि नहीं मिलने से लाभुक बैंकों और पंचायत कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं. कुछ जगहों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से अधिकारियों से शिकायत भी की है, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है.
विपक्ष के आरोप, सरकार से सवाल
इधर विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि मंईयां योजना सिर्फ़ चुनावी हथकंडा बनकर रह गई है. उनका कहना है कि सरकार सिर्फ़ आकड़ों से खेल रही है, जबकि इसका लाभ महिलाओं तक पहुंच ही नहीं रहा है.

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