टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : 3 सितंबर को पलामू के मनातू में हुए मुठभेड़ पर सवाल उठने लगे हैं. सोशल मीडिया पर तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी की ओर से जारी लेटर से हड़कंप मच गया है. लेटर के माध्यम से कई तरह के सवाल उठाए गए है. इसमें पुलिसकर्मी संतोष मेहता और सुनील राम की मौत की जांच की मांग की गई है. पत्र में दावा किया गया है कि दोनों जवान की मौत संगठन की गोलियों से नहीं, बल्कि आपसी मतभेद और पुलिस की गलती से हुई. TSPC ने कहा है कि एक पुलिसकर्मी ने अपने ही साथियों पर लगभग 20 फीट की दूरी से नौ गोलियां चलाईं. हालांकि इस वायरल चिट्ठी की प्रामाणिकता की पुष्टि ‘द न्यूज पोस्ट’ नहीं करता है.
संगठन ने यह भी दावा किया है कि मुठभेड़ के दौरान उनका साथी शशिकांत घटनास्थल से काफी दूर था. जबकि जवान को 20 फीट की दूरी से गोली मारी गई. उसे भी 9 गोलियां मारी गईं. बयान के मुताबिक, झारखंड जगुआर के जवानों ने सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक शशिकांत के घर को घेरे रखा और यह घटना रात में जिला पुलिस के जवानों के पहुंचने पर हुई. इन तर्कों के साथ TSPC ने इस घटना को साजिश करार दिया है. साथ ही कहा है कि इसमें पलामू के आईजी, एसपी और डीएसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो सकते हैं. टीएसपीसी ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही, गोलीबारी की विस्तृत जानकारी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की दोबारा जांच की भी मांग की है.
पलामू एनकाउंटर मुठभेड़ या साज़िश !
वायरल पत्र में 3 सितंबर 2025 को पलामू क्षेत्र में हुई पुलिस कार्रवाई का भी ज़िक्र है जिसे एक साज़िश बताया गया है. साथ ही, इस घटना को लेकर आईजी, एसपी और अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं. पत्र में यह भी लिखा है कि संगठन की लड़ाई पुलिस से नहीं, बल्कि महंगाई, बेरोज़गारी, भुखमरी, ज़मींदारी और पूंजीवादी शोषण व्यवस्था से है. इस वायरल पत्र को लेकर अभी तक पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
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