टीएनपी डेस्क(TNP DESK): सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने की शर्तों पर एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित मुआवजा के आधार पर जमानत देना गैरकानूनी है. फैसले के साथ ही कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल गीतेश कुमार बनाम झारखंड सरकार से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित मुआवजा (विक्टिम कंप्नसेशन) के आधार पर जमानत नहीं दिया जा सकता. यह सीआरपीसी 438 और 439 के विरुद्ध है साथ ही साथ इसे गैरकानूनी बताया है.
झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में दी गई थी चुनौती
गीतेश कुमार की ओर से अधिवक्ता कुमार शिवम ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. अधिवक्ता कुमार शिवम ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट में आमतौर पर पीड़ित मुआवजा के आधार पर जमानत दी जाती थी. एक मामले में हाईकोर्ट ने बारह लाख रुपए पीड़ित मुआवजा के आधार पर आरोपी को जमानत दिए जाने का आदेश दिया था. उक्त आदेश को गीतेश कुमार ने शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी.
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क्या है पीड़ित मुआवजा
पीड़ित मुआवजा (विक्टिम कंप्नसेशन) का अर्थ होता है कि यदि कोई आरोपी को कोर्ट से आदेश दिया जाता है कि आप पीड़िता के खाते में आदेशानुसार ( कोर्ट जितना पैसा आपको देने के लिए बोलता है ) रुपये डाल दीजिए तो आपको जमानत मिल जायेगा. अगर आरोपी उस पीड़िता के खाते में कोर्ट के द्वारा बताई गई राशि डाल देता है तो उसे जमानत मिल जाती और ट्रायल चलती रहती थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश के बाद पीड़ित मुआवजा (विक्टिम कंप्नसेशन) के तहत जमानत नहीं दिया जायेगा. यह सीआरपीसी 438 और 439 के विरुद्ध है साथ ही साथ इसे गैरकानूनी होगा.
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