टीएनपी डेस्क(TNP DESK): पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल ने उप राष्ट्रपति चुनाव होने से पहले ही एक बड़ा फैसला ले लिया है. जिस कारण विपक्ष को बड़ा झटका लगा है. हालांकि तृणमूल के द्वारा लिये गये इस फैसले को भाजपा के लिए लिये बड़ा फायदा बताया जा रहा है. तृणमूल महासचिव अभिषेक बैनर्जी ने अपने पार्टी सांसदों के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद इस बार उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग में भाग नहीं लेने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी ने यह ऐलान विपक्ष द्वारा उनकी राय लिए बगैर प्रत्याशी तय करने पर किया है.
टीएमसी ने कहा कि एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ के साथ जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है
टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के फैसले की जानकारी दी है. अभिषेक ने कहा कि विपक्ष ने ममता की राय लिए बिना ही मार्गरेट अलवा को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. NDA उम्मीदवार को समर्थन करने का प्रश्न ही नहीं है. राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को विपक्ष ने उप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा के नाम का ऐलान किया था. विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा (80) ने मंगलवार, 19 जुलाई को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के आवास पर 17 पार्टियों के विपक्षी नेताओं की बैठक में लिया गया. पवार ने दो घंटे की बैठक के बाद घोषणा की कि सर्वसम्मति से मार्गरेट अल्वा को उप राष्ट्रपति पद के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारी सामूहिक सोच है कि अल्वा, उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करें. उन्होंने बताया था कि कुल 17 पार्टियों ने सर्वसम्मति से उन्हें मैदान में उतारने का फैसला किया है और तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से वह कुल 19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी.
6 अगस्त को उपराष्ट्रपति का चुनाव
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 6 अगस्त को होना है. नामांकन की आखिरी तारीख 19 जुलाई थी. एनडीए ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है. धनखड़ राजस्थान के ही रहने वाले हैं. जबकि विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को चुनाव मैदान में उतारा है. मीटिंग में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा और बिनॉय विश्वम, शिवसेना के संजय राउत, द्रमुक के टी आर बालू और तिरुचि शिव, सपा के राम गोपाल यादव, एमडीएमके के वाइको और टीआरएस के केशव राव, राजद के ए डी सिंह, आईएमयूएल के ई टी मोहम्मद बशीर और केरल कांग्रेस (एम) के जोस के मणि भी मौजूद थे.
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