टीएनपी डेस्क(TNP DESK): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने सांसदों के इलाज के लिए प्रदान किए गए विशेष प्रावधानों वाले एसओपी को रद्द कर दिया है. यह फैसला इस मुद्दे पर लगातार हो रहे हंगामे के जवाब में लिया गया. इसके साथ ही अब एम्स में मौजूदा सांसदों की VIP सुविधा खत्म कर दी गई है. AIIMS ने इस फैसले की जानकारी लोकसभा सचिवालय को दे दी है.
देश के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल के निदेशक ने शुक्रवार को अपने उस पत्र को वापस ले लिया, जिसमें मौजूदा सांसदों के लिए विशेष व्यवस्थाओं को सूचीबद्ध किया गया था. इससे पहले डॉक्टर संघों और अन्य कार्यकर्ताओं ने "वीआईपी संस्कृति" की आलोचना की थी जबकि संस्थान ने इसे एसओपी करार दिया था.
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एम्स के निदेशक के फैसले पर उठाए थे सवाल
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सांसदों के विशेष विशेषाधिकार आम मरीजों की कीमत पर आ सकते हैं. एक ट्वीट में कहा गया था कि हम वीआईपी संस्कृति की निंदा करते हैं. किसी भी मरीज को दूसरे के विशेषाधिकारों की कीमत पर नुकसान नहीं उठाना चाहिए. कहा जा रहा है कि चीजों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक प्रोटोकॉल को अपमानजनक नहीं माना जाना चाहिए, बशर्ते कि यह रोगी की देखभाल में बाधा न डाले. एक अन्य ट्वीट में, फोर्डा ने कहा कि हम 'जनता पहले, प्रतिनिधि बाद में' (जन पहले, प्रतिनिधि बाद में) के लिए खड़े हैं. स्वास्थ्य सेवा में केवल वीआईपी ही बीमार मरीज है. डॉक्टर को ऐसा चुनने के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए.
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने भी वीआईपी कल्चर पर उठाए सवाल
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने भी ट्वीट किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को एक पत्र साझा कर उनसे इस मुद्दे पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया. इस ट्वीट में लिखा गया कि एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत में कोई VIP कल्चर नहीं है, लेकिन दूसरी ओर एम्स के निदेशक Dr. M Srinivas ने VIP संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक पत्र जारी किया, अतीत की तरह हम अभी भी वीआईपी कल्चर के खिलाफ खड़े हैं. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने एम्स में मौजूदा सांसदों के लिए चिकित्सा देखभाल व्यवस्था के संबंध में एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास द्वारा लिखे गए पत्र को तत्काल रद्द करने के संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया को पत्र लिखा है.
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