टीएनपी डेस्क(TNP DESK): प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की उपस्थिति में मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) का शुभारंभ किया. मिशन लाइफ की थीम के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह ग्रह की, ग्रह के लिए और ग्रह के लिए जीवनशैली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हर जगह देखा जा रहा है, हमारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं, नदियां सूख रही हैं. मिशन लाइफ इस जलवायु संकट से लड़ने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि एक धारणा बनाई गई थी कि जलवायु परिवर्तन केवल एक नीति-संबंधी मुद्दा है और सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संस्थान इसके बारे में कदम उठाएंगे. लेकिन अब, लोग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को महसूस कर रहे हैं.
पर्यावरणीय प्रभाव वाले दैनिक प्रथाओं का हवाला देते हुए, पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ लोग एसी के तापमान को 17 डिग्री तक गिराना पसंद करते हैं, इससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जिम जाते समय साइकिल का उपयोग करें. पर्यावरण की मदद के लिए अपनी जीवन शैली को बदलने के लिए अपना थोड़ा सा प्रयास करें.
क्या है मिशन लाइफ
प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, मिशन लाइफ को भारत के नेतृत्व वाला वैश्विक जन आंदोलन होने की उम्मीद है जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करेगा. मिशन लाइफ का उद्देश्य स्थिरता के प्रति हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए त्रि-आयामी रणनीति का पालन करना है. इन तीन रणनीति में पहला रणनीति आम लोगों को प्रेरित करना है. व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन (मांग) में आसान लेकिन प्रभावी पर्यावरण-अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना है. दूसरा उद्योगों और बाजारों को तेजी से बदलती मांग (आपूर्ति) के लिए प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाना है और तीसरा सरकार और औद्योगिक नीति को स्थायी खपत और उत्पादन (नीति) दोनों का समर्थन करने के लिए प्रभावित करना है.
झारखंड के लोगों पर बड़ी जिम्मेदारी
मिशन लाइफ पर्यावरण के प्रति सरकार और आम लोगों द्वारा मिल कर छोटे-छोटे कामों पर जोर देना है. इस मामले में झारखंड के लोगों और सरकार पर ज्यादा जिम्मेवारी बढ़ जाती है. इसका मुख्य कारण ये है कि झारखंड जल, जंगल और जमीन की धरती है. यहां के आदिवासियों की जीवन शैली पर्यावरण के इर्द-गिर्द ही होती है. लोग शुरू से ही जंगल को अपना घर मानते हैं और उसी के अनुरूप वे लोग पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देते हैं. मगर, हाल के कुछ समय में विकास के नाम पर जंगलों की संख्या घटी है. बड़े-बड़े बिल्डिंग का निर्माण हुआ है. कल-कारखाने लगे हैं. मगर, पर्यावरण के प्रति जीतने कदम उठाने चाहिए थे, उतने उठे नहीं है. ऐसे में देश में मिशन लाइफ को सफल बनाना है तो झारखंड एक बहुत ही बड़ा फैक्टर होने वाला है.
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