धनबाद (DHANBAD) : केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे 26 अगस्त को धनबाद पहुंचेंगे. संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी मिलने के बाद उनका यह पहला दौरा होगा. इधर, पहली  सितंबर को बीसीसीएल के नए सीएमडी  ज्वाइन कर लेंगे. कहा तो यही जा रहा है कि संशोधित मास्टर प्लान के संबंध में मंत्री  झारखंड के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से रांची में बातचीत करेंगे. उसके बाद धनबाद पहुंचेंगे. ऐसे में कोयला राज्य मंत्री से कोयलांचल के कई सवाल होंगे. इन सवालों का जवाब आज तक कोयलांचल को नहीं मिला है.  प्रदूषण से कोयलांचल का रहा रहा है. भू धंसान की घटनाएं लगातार हो रही है. यह तो सभी जानते हैं कि झरिया कोयलांचल की सबसे बड़ी परेशानी भूमिगत आग है. देखते-देखते जमीन धंस  जा रही है.  लोगों के घर जमींदोज  हो जा रहे है.  जान भी जा रही है.  

एक सौ साल से अधिक समय से जल रहा कोयला 

लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित करने की योजना है, लेकिन काम की गति जरूरत के हिसाब से नहीं है. प्रदूषण और पर्यावरण की भी बड़ी समस्या है. पोखरिया खदानों से उत्पादन की वजह से प्रदूषण की मात्रा अधिक बढ़ रही है. सड़कों पर "दैत्याकार" हाईवा  के चलने का कोई रूट निर्धारित नहीं होने से, सड़के तो खराब हो ही रही है, दुर्घटना में लोगों की जान भी जा रही है. झरिया में भूमिगत आग का सबसे पहले पता 2019 में चला था. तब से यह भूमिगत आग  झरिया कोयलांचल को खोखला कर रही है. राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान हो रहा है. कोयला निकालने के बाद खाली हुई जगह पर राष्ट्रीयकरण के बाद सही तरीके से बालू की भराई नहीं होने की वजह से जमीन खोखली होती चली गई. जिस वजह से जमीन धंसती  रहती है. शहर के शहर असुरक्षित हो गए है. 

केवल झरिया ही नहीं, अब तो अन्य इलाके भी हो गए है खतरनाक 
 
सिर्फ झरिया की ही बात नहीं हो, कतरास, बाघमारा, पुटकी के इलाके भी  खतरनाक हो गए है. रोज धंसान की घटनाएं हो रही है. 2025 में इंद्र भगवान कोयलांचल पर इतना अधिक मेहरबान है कि लगातार घटनाएं हो रही है. झरिया कोयलांचल  मंत्री से जरूर यह  मांग करेगा कि आप सिर्फ बेलगड़िया  नहीं जाएं ,कोयलांचल  की सड़कों पर बिना किसी पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत स्वयं घूमें और अपनी आंखों से देखें, कोयलांचल के लोग किस कदर जान जोखिम में डालकर रह रहे है. ओवर बर्डन के जो पहाड़ खड़े किए गए हैं, वहां से पानी जैसे प्रवेश करता है, कैसे धुएं का गुब्बारा निकलता है. लोगों के मरने की घटनाएं एक दो नहीं बल्कि कई हुई है. झरिया के एक  बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि जिस तरह बाहर के कोई भी अधिकारी आते हैं ,तो उन्हें बीसीसीएल मैनेजमेंट मुनीडीह खदान दिखाने को ले जाता है.  इसलिए इसी तरह जब भी कोई अधिकारियों की टीम या मंत्री आते हैं, तो पुनर्वास को दिखाने के लिए बेलगड़िया ले जाया जाता है.  लेकिन क्या सिर्फ बेल गड़िया ही सब कुछ है. 

मंत्री जी से पूरे इलाके के भ्रमण की क्यों उठ रही मांग 

अधिकारियों को लोदना , जोड़ा पोखर, भौरा , शिमलाबहाल , झरिया शहर, पुटकी , केंदुआ , कतरास, बाघमारा इलाके का भी दौरा करना चाहिए.  इस दौर से कोयलांचल की हकीकत सामने आ जाएगी. यहाँ के जनप्रतिनिधियों की भी यह जिम्मेवारी होगी कि असलियत से मंत्री को अवगत कराये. झरिया की यह आग 1995 से ही संकेत दे रही है कि अब उसकी अनदेखी खतरनाक होगी. 1995 में झरिया चौथाई कुल्ही में पानी भरने जाने के दौरान युवती जमींदोज हो गई थी. 24 मई 2017 को इंदिरा चौक के पास बबलू खान और उसका बेटा रहीम जमीन में समा गए थे.. 2006 में शिमला बहाल में खाना खा रही  महिला जमीन में समा गई थी. 2020 में इंडस्ट्रीज कोलियरी में शौच के लिए जा रही महिला जमींदोज हो गई थी. फिर    

घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में गए तो क्या हुआ ?

घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में चला गया .पहले तो बीसीसीएल प्रबंधन घटना से इंकार करता रहा लेकिन जब मांस जलने की दुर्गंध बाहर आने लगी तो झरिया सीओ की पहल पर NDRF की टीम को बुलाया गया. टीम ने कड़ी मेहनत कर 210 डिग्री तापमान के बीच से परमेश्वर चौहान के शव का अवशेष निकाला. अभी  कोयलांचल में लगातार बारिश से जहां घर-मुहल्लों  में पानी भर रहा है, वही कोलियरी  इलाकों में प्रदूषण के कारण लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है. सड़कें दिखाई नहीं दे रही है. जिन इलाकों में भूमिगत आग है, वहां पानी के प्रवेश से गैस निकल रही है. लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है.  यह  स्थिति आगे कब तक बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है.  

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो