टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आज की तारीख में कोई देश घोर आर्थिक संकट से गुजरता है, तो पड़ोसी देश निश्चित रूप से प्रभावित होता है.श्रीलंका का संकट इसका उदाहरण है.

श्रीलंका संकट को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की आशंका सच हो सकती है. वहां की आर्थिक तबाही ने मुख्य रूप से फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) के वार्षिक 45 हजार करोड़ रुपये के कांच उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है, क्योंकि यहां के कांच निर्यातकों को अपने श्रीलंकाई व्यापारिक समकक्षों से करोड़ों रुपये का भुगतान अटक जाने से गंभीर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.एक तरह से उद्योगपति रो रहे हैं.

कांच निर्यातकों के अनुसार संकटग्रस्त राष्ट्र के निजी उद्यमों ने श्रीलंका को मार्च और अप्रैल में जो माल भेजा था, उसके 50 करोड़ रुपये फंस गए हैं. तकरीबन 50 करोड़ रुपये के ऑर्डर होल्ड पर हैं, जबकि 10 करोड़ रुपये के ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं.

फिरोजाबाद में कांच उद्योग का अनुमानित वार्षिक राजस्व 10,000 करोड़ रुपये है.इसमें करीब छह लाख लोग कार्यरत हैं. वित्त वर्ष 2021-2022 में श्रीलंका को भारत का निर्यात 5.8 बिलियन डॉलर है, जबकि आयात 01 बिलियन डॉलर का है.

इधर, पिछले 45 दिनों से द्वीपीय देश को निर्यात करने में असमर्थ होने के बाद उत्पादकों ने कहा कि 50 करोड़ रुपये के ऑर्डर होल्ड पर थे, जबकि 10 करोड़ रुपये के ऑर्डर रद्द कर दिए गए थे.फ़िरोज़ाबाद ग्लास निर्यातक और ऑल इंडिया ग्लास मैन्युफैक्चरर्स फ़ेडरेशन (एआईजीएमएफ) के कोषाध्यक्ष मुकेश बंसल के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान उप्र के इस शहर ने पड़ोसी देश को 100 करोड़ रुपये के कांच के बने पदार्थ बेचे थे. निर्यातकों के अनुसार यदि श्रीलंका में संघर्ष जारी रहता है, तो घाटा और बढ़ जाएगा.

व्यापारियों ने कहा, यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक था, क्योंकि चीन में कोविड लॉकडाउन के परिणामस्वरूप बाजार को फायदा हुआ था.बर्तन, खिलौने, मूर्तियाँ और प्रकाश उपकरण नियमित रूप से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में से थे. विश्लेषकों के मुताबिक श्रीलंका में फिरोजाबाद के झूमर की अत्यधिक मांग जून और नवंबर (दिवाली सीजन) के बीच बढ़ जाती है.

बंसल ने कहा, हम श्रीलंका में होने वाली घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. हमारे अटके हुए लगभग आधे ऑर्डर खत्म हो चुके हैं. अगर आर्थिक और राजनीतिक संकट जल्द नहीं थमा तो हमें काफी नुकसान होगा.

उत्तर प्रदेश ग्लास प्रोड्यूसर एसोसिएशन के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य दीपक गुप्ता ने कहा, ग्लास निर्यातक परेशान हैं. हम दुविधा में हैं कि बकाया ऑर्डर के लिए विनिर्माण जारी रखना है या बंद करना है.हमने आयातकों से संपर्क किया है लेकिन अप्रैल के बाद प्राप्त अधिकांश ऑर्डर रद्द कर दिया गया.हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि हम 15 दिन और प्रतीक्षा करें.

कुछ निर्यातकों ने नोट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते भारत और श्रीलंका के बीच रुपये आधारित व्यापार समझौते को मंजूरी दी थी.गुप्ता ने कहा, यह एक बड़ी राहत थी.आयातकों ने हमें बताया कि जैसे ही डॉलर विनिमय प्रक्रिया को बंद रखा जाएगा, वे किसी भी बकाया बिल का भुगतान करेंगे.

दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है, जो 2000 में लागू हुआ.कांच के बने माल के अलावा, श्रीलंका को भारत के निर्यात में अन्य चीजों के अलावा, इंजीनियरिंग आइटम, रसायन, लोहा एवं इस्पात, कृषि वस्तुएं और खनिज तथा ईंधन शामिल थे.