टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ना पड़ता है. चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को कुछ जरूरी योग्यताओं को पूरा करना पड़ता है, तभी वो चुनाव लड़ सकते हैं. इस चुनाव में विधायक और सांसदों को वोटिंग का अधिकार होता है. मगर, सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी याचिका आई कि जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिका को अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग और अपमानजनक बता दिया.
राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त होने की मांग करने के लिए दाखिल की थी याचिका
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका खारिज कर दी, यह याचिका भारत के राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त होने की मांग करने वाली एक व्यक्ति द्वारा दाखिल की गई थी. याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से भविष्य में इस मुद्दे पर अपनी आगे की याचिका पर विचार नहीं करने को कहा. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि याचिका 'तुच्छ' है और अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करती है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि याचिका "अपमानजनक" थी.
किशोर जगन्नाथ सावंत ने दाखिल की थी याचिका
यह याचिका किशोर जगन्नाथ सावंत द्वारा दाखिल की गई थी. अदालत ने रजिस्ट्री को सावंत द्वारा की गई "अपमानजनक" टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने का भी निर्देश दिया. व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता सावंत ने आरोप लगाया था कि उन्हें हालिया राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई. पर्यावरणविद् होने का दावा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वह दुनिया की सभी "गंदी परिस्थितियों" के लिए काम करेंगे. शीर्ष अदालत ने सुनवाई में कहा कि वह अपने विशेष ज्ञान के आधार पर भाषण दे सकते हैं क्योंकि वह एक पर्यावरणविद् हैं लेकिन इस तरह से याचिका दायर करना कोई तरीका नहीं है.
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