धनबाद (DHANBAD) : धनबाद में संचालित बीसीसीएल शेयर बाजार में कदम रखने वाली कोल इंडिया की पहली सहायक कंपनी होगी. इसके लिए बीसीसीएल और कोल इंडिया के अधिकारी देश-विदेश में रोड शो कर रहे है. जिससे कि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके. बीसीसीएल का आईपीओ अब अंतिम चरण में है. कंपनी को सेबी से मंजूरी मिल चुकी है. सूत्रों के अनुसार बीसीसीएल का यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल के रूप में रहेगा. यानी कंपनी नई शेयर जारी नहीं करेगी, बल्कि इसकी मूल कंपनी कोल इंडिया अपने हिस्सेदारी में से लगभग 46.57 करोड़ के शेयर को बाजार में बेचने जा रही है. जानकारी के अनुसार शेयर का फेस वैल्यू₹10 प्रति शेयर निर्धारित किया गया है. बता दें कि बीसीसीएल कोल इंडिया की स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. देश का सबसे अधिक कोकिंग कोयला बीसीसीएल में ही उत्पादित होता है.
बीसीसीएल में अभी कुल 32 ऑपरेशनल खदानें हैं
फिलहाल बीसीसीएल की कुल 32 ऑपरेशनल खदानें हैं, जिनमें से तीन भूमिगत , 25 पोखरिया और कुछ मिक्सड माइंस है. उल्लेखनीय है कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया अपने कई सहायक कंपनियों का शेयर बेचने की तैयारी में है. उल्लेखनीय है कि कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसी एल) ने 44.43 करोड़ रुपए का लाभांश चेक अभी हाल ही में अपने पैतृक संस्थान कोल इंडिया लिमिटेड को सौंपा था. यह काम बीसीसीएल ने अपने अस्तित्व में आने के बाद पहली बार किया था. भारत को किंग कोल लिमिटेड कभी बीमार कंपनियों की सूची में शामिल थी. लेकिन अपने संचित घाटे को खत्म कर अपना पहला लाभांश घोषित किया था. वित्तीय वर्ष 23- 24 बीसीसीएल के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा . जिसमें सभी क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुए. कई अवसरों पर ट्रेड यूनियन के नेताओं ने इसका विरोध भी किया था.
ट्रेड यूनियन के नेता करते रहे है विरोध
ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना था कि विनिवेश से बीसीसीएल में निजी कंपनियों का प्रभाव और बढ़ेगा ,इससे राष्ट्रीयकरण के उद्देश्यों को धक्का लग सकता है. बीसीसीएल को जनवरी, 1972 में झरिया और रानीगंज कोलफील्ड्स में संचालित कोकिंग कोल खदानों को संचालित करने के लिए शामिल किया गया था. कोयला खदानों को भारत सरकार द्वारा 16 अक्टूबर, 1971 को देश में दुर्लभ कोकिंग कोल संसाधनों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए अधिग्रहण किया गया था. यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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