धनबाद (DHANBAD) : बंगाल को भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है. अब बंगाल से सटे झारखंड की बारी है. लेकिन झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के चयन में कई कील कांटे है. बंगाल में वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल इकाई का नया अध्यक्ष बनाया गया है. 2026 के विधानसभा चुनाव में वह पार्टी का नेतृत्व करेंगे. कोलकाता के कार्यक्रम में अभी हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भट्टाचार्य को निर्वाचन का प्रमाण पत्र दिया. नए बंगाल प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि 2026 का विधानसभा चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है. उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल की जनता ने विधानसभा चुनाव में भ्रष्ट टीएमसी सरकार के कुशासन को खत्म करने का मन बना लिया है. खैर, बंगाल को तो प्रदेश अध्यक्ष मिल गया लेकिन झारखंड में अभी प्रदेश अध्यक्ष की प्रतीक्षा की जा रही है.
बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अब आदिवासी समाज का कोई भी प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनेगा. निश्चित रूप से कोई ना कोई ओबीसी ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालेगा. प्रदेश अध्यक्ष की रेस में तो कई लोग हैं, लेकिन हाल के दिनों के संकेत बता रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल सकती है. भाजपा में फिर से वापस आने के बाद रघुवर दास की सक्रियता बढ़ी हुई है. आदिवासियों के बीच पैठ बनाने की वह लगातार कोशिश कर रहे है. दुमका में अभी हाल ही में रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी की मुलाकात भी कुछ संकेत को जन्म दे रही है. यह अलग बात है कि झारखंड में भाजपा अभी बुरे दिनों से गुजर रही है. 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है.
जिस तरह से बंगाल में नए भाजपा अध्यक्ष को संगठन को मजबूत करना बहुत आसान नहीं होगा, उसी तरह झारखंड में भी जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे, उनके लिए फील्ड सजाना बहुत आसान नहीं होगा. यह अलग बात है कि अगले विधानसभा चुनाव तक भाजपा के पास पर्याप्त समय है. संगठन को नए ढंग से तैयार करना झारखंड में भी चुनौती होगी. वैसे, प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कई और नाम भी चल रहे है. जिनमें आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा, मनीष जायसवाल के भी नाम शामिल है. अब देखना है कि झारखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसको मिलती है. जिला स्तर के नेता-कार्यकर्ताओं तक की इस पर नजर टिकी हुई है. क्योंकि यह तो तय है कि प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद इसका असर जिला स्तर तक पहुंचेगा और कई की कुर्सी जा सकती है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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