धनबाद(DHANBAD):  नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा  सबसे पहले टुंडी इलाके में सक्रिय भाकपा  माओवादी के पोलित  ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस  के संपर्क में आया था.  एक महाजन को बम से उड़ाने  के बाद वह प्रशांत बोस  के दस्ते में शामिल हो गया.  महाजन को बम विस्फोट से उड़ाने  के बाद वह गांव से फरार हो गया और फिर कभी नहीं लौटा.  फिलहाल स्थिति यह हो गई है कि गांव के लोग अब प्रयाग मांझी  को जानने- पहचानने से भी इनकार कर दिए है.  मनियाडीह  थाने से 10 किलोमीटर दूर दल्लूडीह  गांव में जब टुंडी पुलिस सोमवार को प्रयाग मांझी  के परिवार को ढूंढते हुए पहुंची तो ग्रामीण उसे पहचानने से भी इनकार कर दिया.  पुलिस को एक जगह मिट्टी के टिल्हे  दिखे.  यही  प्रयाग मांझी  का कभी घर हुआ करता था.  फरारी  के दौरान घर को जमींदोज कर  दिया गया था.  ग्रामीणों से पूछने पर बताया कि वह किसी प्रयाग मांझी को नहीं जानते है.  

प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के परिवार को खोजने पहुंची थी पुलिस 

मनियाडीह  थाने की पुलिस गांव पहुंची थी लाश  सौंपने के लिए.   ग्रामीणों से पूछा तो ग्रामीणों ने ही  पुलिस से ही सवाल कर दिया?  इसके बाद पुलिस लौट गई.  सोमवार को बोकारो में सुरक्षा बलों के साथ  मुठभेड़ में प्रयाग मांझी सहित आठ नक्सली ढेर  कर दिए गए.  प्रयाग मांझी पर एक करोड रुपए का इनाम था.  बोकारो का झुमरा इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, लेकिन पिछले तीन महीना में सुरक्षा बलों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर लगभग 10 नक्सलियों को ढेर कर दिया.  इन सभी नक्सलियों पर इनाम घोषित था. सोमवार को  मुठभेड़ में यह बात लगभग स्पष्ट हो चुकी है कि नक्सलियों की अब कमर टूट गई है.  सूत्रों के अनुसार सोमवार की सुबह जब सुरक्षा बलों ने नक्सलियों की घेराबंदी की तो उनके पास कोई बैकअप दस्ता  नहीं था.  अमूमन नक्सली के बड़े नेताओं के पीछे कोई ना कोई बैकअप दस्ता  रहता है.  नक्सलियों के साथ सोमवार को हुआ  मुठभेड़ झारखंड की सबसे बड़ी मुठभेड़ थी.  झारखंड का  पारसनाथ  और बोकारो का झुमरा नक्सलियों का गढ़ रहा है.  वैसे, 2015 से नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान से नक्सलियों की कमर टूट गई है.  

बोकारो में मारे गए नक्सलियों में एक बड़ा नाम अरविंद यादव का भी है 

बोकारो में मारे गए नक्सलियों में एक बड़ा नाम अरविंद यादव उर्फ अविनाश उर्फ अनुज का बताया जाता है.  पिछले दो सालों से बिहार के जमुई में नक्सली संगठन के कमजोर पड़ने के बाद सुरक्षा बलों की घेराबंटी से बचने के लिए वह झारखंड के इलाके में भ्रमणशील था.  लेकिन सोमवार को हुई मुठभेड़ में वह भी मारा  गया है. इसके पहले 2024 में पुलिस अभिरक्षा में ही उसकी पत्नी जया दी की मौत हो गई थी. जया दी  असाध्य रोग से पीड़ित थी. धनबाद के एक अस्पताल में वह नाम बदलकर इलाज करा रही थी. तभी इसकी सूचना गिरिडीह पुलिस को मिली. फिर मुखविरो से पुष्टि के बाद गिरिडीह पुलिस अस्पताल की घेराबंदी की और इलाज के दौरान ही उसकी गिरफ्तारी कर ली गई. 16 जुलाई, 2024 को उसकी गिरफ्तारी हुई थी. धनबाद  से उसे इलाज के लिए रिम्स रांची में भर्ती कराया गया था. जहां सूचना के मुताबिक सितंबर 2024 में उसकी मौत हो गई. वह भी 25 लाख की इनामी नक्सली थी. प्रयाग मांझी धनबाद के मनियाडीह  थाना क्षेत्र के दलुगोड़ा  गांव का रहने वाला था. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो