दुमका (DUMKA): साइबर फ्रॉड के लिए भले ही जामताड़ा बदनाम हो लेकिन आज के दौर में देश के किसी भी कोने में बैठ कर साइबर अपराधी घटना को अंजाम दे सकते है. नित नई तकनीक साइबर फ्रॉड के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब तक आम लोगों को चूना लगाने वाला साइबर फ्रॉड इस बार सरकार को चूना लगाने के फिराक में था, लेकिन समय रहते मामला उजागर हो जाने के कारण साइबर फ्रॉड के मंसूबे पर पानी फिर गया. जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई.

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभुकों के नाम में अप्रत्याशित वृद्धि से विभाग के उड़े होश

 दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड के  बाल विकास परियोजना कार्यालय की पर्यवेक्षिका सुशीला कुमारी ने शिकारीपाड़ा थाना में एफआईआर दर्ज कराई है. जिसमें  उल्लेख किया है कि 8 अप्रैल को दोनों पर्यवेक्षिका द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना अंतर्गत सेविका द्वारा किए गए लाभुकों की एंट्री सत्यापन हेतु अपने-अपने लॉगिन आईडी के माध्यम से लॉगिन करने का प्रयास किया गया, परंतु उस दिन से अब तक लॉगिन नहीं किया जा पा रहा है. जिला कार्यालय से यह सूचना मिली कि इस योजना के तहत बिना पर्यवेक्षिका के सत्यापन किए लाभुकों के नाम की एंट्री और सत्यापन में लगातार वृद्धि हो रही है. जबकि सच्चाई तो यह थी कि 8 अप्रैल से दोनों पर्यवेक्षिका द्वारा एक भी लाभुक का सत्यापन नहीं किया जा सका है. इस संबंध में जब पर्यवेक्षिका ने सेविका से पूछताछ की तो पता चला कि वह भी काफी दिनों से अपने आईडी से लॉगिन नहीं कर पाई है.

पर्यवेक्षिका के मोबाइल नंबर के बदले अलग अलग नंबर से जोड़ा गया 1916 लाभुक का नाम

दोनों पर्यवेक्षिका ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी,  शिकारीपाड़ा, से बात की. उनके द्वारा जब अपने लॉगिन आईडी को खोला गया तो उसमें पाया गया कि दोनों पर्यवेक्षिका के मोबाइल नंबर के बदले कई अलग-अलग नंबर प्रदर्शित हो रहे है. 8 अप्रैल से 18 अप्रैल तक 1916 मातृ वंदना योजना के फर्जी लाभुकों के नाम का एंट्री किया जा चुका है. एफआईआर में उन नंबरों को भी दर्ज किया है जिस नंबर से फर्जी एंट्री किए गए हैं.

SDO के नेतृत्व में गठित टीम ने शुरू की मामले की जांच

जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। डीसी के निर्देश पर एसडीओ कौशल कुमार के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया है. टीम ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. टीम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अंजू कुमारी, शिकारीपाड़ा बीडीओ एजाज आलम, सीओ कपिल देव ठाकुर,  थाना प्रभारी अमित लकड़ा शामिल हैं. टीम ने शिकारीपाड़ा प्रखंड कार्यालय पहुंच कर  बारीकी से पूरे घटनाक्रम को जाना. उस लिस्ट को भी खंगाला गया जो फर्जीवाड़ा करने वालों ने तैयार किया है.

क्या कहना है एसडीओ का

एसडीओ कौशल कुमार ने कहा कि अभी यह जांच लगातार चलेंगी. एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस की टेक्निकल सेल को भी शामिल किया गया है. साथ ही टीम फील्ड में भी जाकर लाभुकों का भौतिक सत्यापन करेगी.

समय रहते पकड़ में आया मामला नहीं तो एक करोड़ रुपए से ज्यादा का होता घोटाला

प्रारंभिक जांच में जो बातें निकल कर आ रही है, सूत्रों की माने तो यह साइबर फ्रॉड की करतूत है. उसके द्वारा साइट में सेंधमारी की गई है. लाभुकों के सत्यापन और नाम जोड़ने के लिए दोनों  पर्यवेक्षिका के मोबाइल नंबर के बदले कई मोबाइल नंबर को जोड़ा गया. जो डॉक्यूमेंट्स अपलोड किए गए है वह भी ब्लर है. एक ही नाम के कई लाभुकों को जोड़ा गया है. पेमेंट आधार बेस्ड किया जाता है और साइट पर आधार का अंतिम चार नंबर ही प्रदर्शित होता है. समय रहते मामला पकड़ में आ गया अन्यथा एक करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का चूना साइबर फ्रॉड द्वारा सरकार को लगाया जाता. इस घटना ने सरकार की योजना के लिए बनाए गए साइट की सुरक्षा पर सवाल जरूर खड़े कर दिए.

क्या है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक केंद्र प्रायोजित योजना है. योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करने वाली माता को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. योजना का उद्देश्य गर्भावस्था और प्रसव के दौरान बेहतर पोषण प्राप्त कर सके. इसके तहत पहले बच्चे के लिए दो किस्तों में₹5000 का लाभ प्रदान किया जाता है. लाभार्थी संस्थागत प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना के तहत लाभुक को एक हजार रुपए यानी कुल 6 हजार रुपए दिए जाते है

रिपोर्ट: पंचम झा