TNP DESK: बेतला नेशनल पार्क, झारखंड के लातेहार और पलामू जिलों में स्थित एक प्रमुख वन्यजीव शरणस्थल है. यह पार्क छोटानागपुर में दूर तक फैला हुआ है और अपनी ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है.
नेशनल पार्क का इतिहास और स्थापना
बेतला एरिया को वर्ष 1940 में वाइल्डलाइफ सेंचुरी किया गया था.बता दे साल 1974 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत भारत के पहले नौ टाइगर सेंचुरी में शामिल किया गया.वही 1986 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे यह झारखंड का एकमात्र नेशनल पार्क बन गया.
वनस्पति और जीव-जंतु
इस पार्क में साल और बांस के घने जंगल हैं, साथ ही कई जड़ी बूटी भी पाए जाते हैं. उत्तर कोयल नदी और उसकी सहायक नदियाँ पार्क के उत्तरी भाग से होकर बहती हैं, जिससे घास के मैदान बनते हैं.साथ ही यहाँ चीतल, सांभर, गौर, हाथी, नीलगाय, भालू, तेंदुआ, बाघ, लकड़बग्घा, लंगूर, रीसस बंदर, भारतीय विशाल गिलहरी, चूहे हिरण, चार सींग वाले मृग, भारतीय पैंगोलिन, साही, नेवला और जंगली बिल्ली जैसे जीवजंतु पाए जाते हैं.साथ ही पक्षियों में हॉर्नबिल, मोर, लाल जंगल मुर्गा, काला तीतर, सफेद गर्दन वाला सारस, काला आइबिस, जलमुर्गी, बटेर, डव, ड्रोंगो, क्रेस्टेड सर्प ईगल, फॉरेस्ट आउलेट और पपीहा शामिल हैं.
हिस्टोरिकल प्लेस
पार्क के अंदर 17th सेंचुरी का पलामू किला स्थित है, जिसे चेरो राजाओं ने बनवाया था.यह किला हिस्ट्री लवर्स के लिए बेस्ट प्लेस है.
पर्यटन और गतिविधियाँ
इस पार्क में जीप सफारी और हाथी की सवारी करने को मिलती है. जिससे टूरिस्ट जानवरों को सामने से देख सकते है.वही इसके अलावा, वॉच टावर भी बनाए गए है.साथ ही पार्क के अंदर और आसपास टूरिस्ट के लिए होटल, लॉज, लॉग हट्स और ट्री हाउस जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं.
कैसे पहुँचें
डालटनगंज के मेदिनीनगर से 25 किमी लातेहार से 65 किमी,और रांची से 170 किमी है. आप यह बस या फिर अपने निजी वाहन से पहुंच सकते हैं.
बता दे पार्क सालों भर खुला रहता है, लेकिन नवंबर से मार्च के बीच का समय मौसम के देखते हुए सबसे सही समय है .बेतला नेशनल पार्क नेचर लवर्स, वन्यजीव उत्साही और इतिहास के शौकीनों के लिए एक बेस्ट प्लेस है.
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