जामताड़ा(JAMTARA): साइबर पुलिस ने करमाटांड़ और सदर थाना क्षेत्र में छापेमारी कर तीन साइबर अपराथियों को पकड़ा है. पुलिस ने करमाटांड़ थाना के ताराबहाल से 28 वर्षीय जियेन्द्र मंडल, सदर थाना के चेंगाइडीह से  23 वर्षीय जहीउद्दीन अंसारी और 30 वर्षीय अशरफ अंसारी को फिसिंग के दौरान गिरफ्तार किया. वहां से पुलिस को 7 मोबाइल, 12 अवैध सिम कार्ड, 7 एटीएम कार्ड, 3 हाईटेक बाइक बरामद हुआ है. वहीं, प्रदीप मंडल और कमरुद्दीन अंसारी पुलिस को चकमा देकर मौके से बच निकले. सभी के खिलाफ कांड संख्या 62/ 2022 दर्ज हुआ है, जिन्हें मेडिकल जांच के बाद जेल भेजा गया. इसकी पुष्टि साइबर थाना प्रभारी अजय कुमार पंजिकार ने की है.

कुछ महीनों में जेल से बाहर होते हैं अपराधी 

दरअसल, ऐसे मामले में ये सभी साइबर ठग पुलिस जांच और वैध प्रमाण के नहीं मिलने के कारण कुछ महीनों में जेल से बाहर आ जाते हैं और फिर नए अंदाज में साइबर ठगी को अंजाम देने लगते हैं, यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.

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जामताड़ा का नाम सुनते ही पीड़ित काट देते हैं कॉल

इसके पीछे का सच यह है कि “जामताड़ा में देश की अजूबा पुलिस व्यवस्था है.” जहां इकतरफा पुलिसिया कार्रवाई लगातार जारी है. जी हां दरअसल, साइबर अपराध से पीड़ित के यहां पुलिस नहीं पहुंचती है बल्कि पुलिस मामले की पुष्टि के लिए पीड़ित को फोन के जरिए संपर्क करती है और ज्यादातर मामलों में पीड़ित जामताड़ा सुनते ही पीड़ित फोन काट देतें है और मोबाइल नबंर ब्लॉक कर देते हैं. उनसे संपर्क करना पुलिस के लिए काफी मुश्किल काम होता है.

जानिए जामताड़ा पुलिस का नया तरीका

पीड़ित का भरोसा जीतने के लिए पुलिस अब नया तरीका अपना रही है. इन दिनों साइबर सेल के अधिकारी पहले बोलते हैं कि “मैं पुलिस ऑफिसर बोल रहा हूं" जब पीड़ित को भरोसा हो जाता है तब पदाधिकारी परिचय देते हैं और जामताड़ा साइबर सेल की बात बताते हैं. जिसके बाद उन्हें साइबर टीम की तरफ से बताया जाता है कि आपके एकाउंट से इतना पैसा निकाला गया है और फिर आगे फोनीक तहकीकात चलती है. ऐसे में चार्जशीट कोर्ट तक पहुंचते-पहुंचते पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. और तय समयावधि में कोर्ट से वैधानिक प्रमाण के आभाव में आरोपी को जमानत मिल जाती है. बावजूद इसके आखिर लोगों का अंतिम भरोसा भी तो पुलिस पर ही है, जिन पर विश्वास करना ही पड़ता है.

रिपोर्ट: आरपी सिंह, जामताड़ा