धनबाद (DHANBAD) : 25 जून 2025 को 5,940 करोड़ के संशोधित झरिया मास्टर प्लान को केंद्र सरकार की मंजूरी मिली है. योजना का उद्देश्य झरिया में भूमिगत आग और धंसान इलाके में रहने वाले लोगों को पुनर्वासित करना है. प्रभावित परिवारों के लिए आजीविका और बुनियादी ढांचे का विकास भी करना है. इधर, पता चला है कि झरिया पुनर्वास का काम गति नहीं पकड़ पा रहा है. इसकी वजह है कि सीईओ की नियुक्ति नहीं हुई है. अभी हाल ही में कोयला मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी हिटलर सिंह ने विभिन्न प्रभावित इलाकों का दौरा किया. बीसीसीएल और जरेडा  के अधिकारियों से बात की. अब वह अपनी रिपोर्ट देंगे. समझा जा रहा है कि हिटलर सिंह के दौरे के बाद सीईओ की नियुक्ति जल्द हो सकती है. 

तय हुआ था कि एक अधिकारी की नियुक्ति की जाए 

बता दें कि संशोधित मास्टर प्लान को स्वीकृति के समय ही पुनर्वास योजना की मॉनिटरिंग एवं बीसीसीएल तथा जरेडा के बीच को-आर्डिनेशन के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को सीईओ के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है.  केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर यह नियुक्ति करनी है. इसमें राज्य सरकार की भूमिका अधिक है. सूत्र बताते हैं कि अब तक सीईओ की नियुक्ति नहीं होने से कई टेंडर व नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा सके है. झरिया पुनर्वास के लिए संशोधित मास्टर प्लान की स्वीकृति के बाद जिस गति से पुनर्वास का काम होना चाहिए था, वह नहीं हो रहा है. 

झरिया पुनर्वास अभी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है

उल्लेखनीय है कि झरिया पुनर्वास अभी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले 648 बीसीसीएल कर्मियों के परिवार को दिसंबर तक सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने का टारगेट है. आंकड़ा यह भी है कि 25 अक्टूबर, 2025 तक 425 परिवारों को शिफ्ट कर दिया गया है. बता दें कि झरिया में कुल 595 अग्नि प्रभावित क्षेत्र है.  81 क्षेत्र अति संवेदनशील है. 81 अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में 14460 परिवार रहते है.  इनमें से 1860 रैयत और करीब 12600 परिवार अवैध कब्जाधारी है. इन्हें सुरक्षित शिफ्ट करने की जिम्मेदारी बीसीसीएल और जरेडा की है.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो