Jharkhand Politics: झारखंड में कांग्रेस के नेताओं ,विधायकों की राजनीति नहीं बदली है. हेमंत पार्ट वन में भी वैसी ही थी और हेमंत पार्ट 2 में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. इस बीच जो खबर निकलकर आ रही है, उसके अनुसार प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मुहिम में लगे कांग्रेस के नेता और विधायकों को फिलहाल झटका लगा है.

मंत्रियों की कुर्सी भी फिलहाल बच गई है. कांग्रेस के प्रभारी के राजू के सहारे ही प्रदेश अध्यक्ष को जीवनदान मिल गया है. यह अलग बात है कि इसके बाद भी कांग्रेस के नेता, विधायक शांत नहीं बैठेंगे. सोमवार को दिल्ली में राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में साफ संदेश दे दिया गया है कि मिलजुल कर कम करें. फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ लॉबिंग करने वालों को झटका लगा है. 

मंत्रियों को भी सख्त चेतावनी मिली है कि वह विधायकों को नजर अंदाज नहीं करें. यहां बताना जरूरी है कि अभी हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में मंत्री और विधायकों के संग हुई बैठक में सदन में कांग्रेस के उप नेता राजेश ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी के क्रियाकलापों पर नाराजगी व्यक्त की थी. 

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने रिम्स 2 के मामले पर भी डॉक्टर इरफान अंसारी को निशाने पर लिया था.खैर इन सब विवादों को खत्म करने के लिए ही राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस के विधायकों की बैठक दिल्ली में हुई. हेमंत 2 मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे के मंत्री महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं. इन विभागों की क्रियाकलाप से कांग्रेस की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है. 

कांग्रेस के चार मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण विभाग हैं .मसलन राधा कृष्ण किशोर के पास वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं .तो डॉक्टर इरफान अंसारी स्वास्थ्य विभाग के मंत्री हैं .नेहा तिर्की के जिम्मे  कृषि मंत्रालय है, तो दीपिका पांडे सिंह के पास ग्रामीण विकास विभाग है .यह अलग बात है कि प्रदेश प्रभारी के राजू झारखंड में कांग्रेस को मजबूती देने के लिए सक्रिय है. 

संगठन सृजन कार्यक्रम जोर-जोर से चलाया जा रहा है. प्रखंड और गांव स्तर पर कमेटी बनाई जा रही है. केंद्रीय आला कमान ने भी अपने स्तर से जानकारी जुटा रही है. कांग्रेस आला कमान चाहता है कि संगठन और सरकार में कोई विवाद नहीं हो. लेकिन कांग्रेस के विधायक और मंत्री आपस में ही कई मौकों पर टकराते दिखे. विधानसभा में भी ऐसा ही कुछ दृश्य देखने को मिला था .खैर जो भी हो प्रदेश अध्यक्ष को फिलहाल जीवनदान मिल गया है. विधायकों को भी भरोसा दिया गया है कि मंत्री अब उनकी अनदेखी नहीं करेंगे. मंत्रियों को भी सख्त चेतावनी है कि वह विधायक और संगठन की अनदेखी नहीं करें. देखना दिलचस्प होगा कि अब आगे आगे होता है क्या??

रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो