धनबाद (DHANBAD) :14 जुलाई झारखंड में कांग्रेस की बागडोर संभाले नेताओं के लिए अवसर होगा या आपदा, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. अब वक्त भी नहीं है. सोमवार को ही यह बैठक प्रस्तावित है. झारखंड में कांग्रेस संगठन के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण हो सकती है. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या प्रदेश अध्यक्ष कि अब छुट्टी होने वाली है? क्या झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे से शामिल मंत्रियों पर भी कोई खतरा है ?क्या झारखंड में कांग्रेस के नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव को खत्म करने का कोई कड़ा संदेश मिल सकता है? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो झारखंड की राजनीति में धनबाद से लेकर रांची और रांची से लेकर दिल्ली तक घुम  रहे है.  कहा तो यही जा रहा है कि संगठन को "ताकत" देने के लिए यह  बैठक होगी.  

बैठक होगी महत्वपूर्ण ,हो सकता है बड़ा निर्णय 

इस बैठक में राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद रहेंगे.  लेकिन अंदरखाने के सूत्रों के अनुसार बैठक में कांग्रेस के संगठन में बदलाव पर भी चर्चा होगी.  उपलब्धियां देखी जाएगी, उसके बाद कड़ा निर्देश मिल सकता है.  चर्चा तेज है कि प्रदेश अध्यक्ष को बदलने पर रायशुमारी  हो सकती है.  यह भी हो सकता है कि घोषणा पत्र में कांग्रेस ने जो भी कहा था, वह किस हद तक पूरा हुआ है और नहीं हुआ है ,तो इसकी वजह क्या हो सकती है.  झारखंड सरकार में अभी कांग्रेस कोटे के चार  मंत्री है.  इन मंत्रियों के कार्यों की भी समीक्षा हो सकती है.  फिलहाल झामुमो  के मुद्दे को लपक कर झारखंड में कांग्रेस आगे बढ़ रही है.  संथाल परगना  में पैर जमाने की कोशिश कर रही है.  ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेताओं को क्या निर्देश मिलेगा, इस पर सबकी नज़रें टिकी रहेंगी.

बिहार में भी होने वाला है विधानसभा चुनाव 
  
अभी बिहार में विधानसभा चुनाव भी है और झारखंड की गतिविधियों का असर बिहार पर भी रहेगा. कांग्रेस झारखंड में झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ी तो बिहार में राजद सहित अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार है. 9 जुलाई को राहुल गांधी पटना आए थे. इधर, दिल्ली में राहुल गांधी की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात हुई है. ऐसे में 14 जुलाई की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यह अलग बात है कि झारखंड में अभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव नहीं होने हैं, अगर होगा भी तो निकाय चुनाव हो सकते है. ऐसे में कांग्रेस संगठन को लेकर जिस तरह से गंभीरता दिख रही है, इसका मतलब है कि झारखंड में कांग्रेस को ग्रास रूट पर मजबूत करने की तैयारी है. ऐसे में बड़ा उलटफेर हो जाये, तो कोई अचरज नहीं. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो