धनबाद(DHANBAD) | कांग्रेस की यह कैसी रायशुमारी थी कि जिला अध्यक्ष के लिए पत्र जारी होने के चौबीस घंटे के भीतर "ज्वालामुखी" फटने लगी है. सवाल उठ रहे कि क्या झारखंड में कांग्रेस का संगठन सृजन कार्यक्रम केवल "आई वाश" था? क्या जिला अध्यक्षों के लिए रायशुमारी में प्रदेश के नेताओं को दूर रखने का केवल नाटक किया गया था? क्या पर्यवेक्षक की रिपोर्ट नहीं मानी गई? क्या झारखंड के कांग्रेस के नेताओं के दबाव पर नेतृत्व झुक गया? यह सब ऐसे सवाल है, जो शनिवार को झारखंड में कांग्रेस के 25 जिला अध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद किए जा रहे है.
सूची जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही विरोध भी शुरू हो गया है. विरोध कई स्तरों पर किया जा रहा है. अब यह मामला एक बार फिर प्रदेश होते हुए केंद्र तक जाएगा. धनबाद में शनिवार को प्रखंड और नगर अध्यक्षों ने बैठक कर संतोष सिंह को जिला अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया. उन लोगों ने कहा कि वह कांग्रेस में रहकर ही पार्टी के इस निर्णय का धनबाद से लेकर दिल्ली तक विरोध करेंगे. उनका कहना था कि संतोष सिंह भाजपा के स्लीपर सेल के रूप में काम करते हैं, फिर भी उन्हें फिर से जिला अध्यक्ष बना दिया गया है. रायशुमारी में उनलोगो ने संतोष सिंह का विरोध किया था ,किसी ओबीसी को जिला अध्यक्ष बनाने की राय संख्या बल के आधार पर दी थी ,पर संतोष सिंह कैसे अध्यक्ष बन गए.
रविवार को धनबाद के बरवाअड्डा में प्रखंड एवं नगर अध्यक्षों (पूर्व एवं वर्तमान) की बैठक हुई. जिसमें वर्त्तवान के सात प्रखंड अध्यक्षों ने विरोध किया. मतलब जिला अध्यक्ष के लिए हुई रायशुमारी सवालों के घेरे में आ गई है. अगर सात प्रखंड अध्यक्ष संतोष सिंह के विरोध में थे, तो फिर पर्यवेक्षकों ने उनके नाम को कैसे प्रस्तावित किया? यह सवाल धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है. आज की विरोध बैठक में बाघमारा के प्रखंड अध्यक्ष बलराम महतो ,तोपचांची के मुकेश प्रसाद ,निरसा के डीएन यादव ,टुंडी के आंनद मोदक ,कलियासोल के आरिफ अंसारी ,धनबाद के पप्पू कुमार पासवान ,एग्यारकुंड के जिआउल रहमान सहित अन्य मौजूद थे. सूचना तो यह भी है कि और दूसरे जिलों में भी विरोध की तैयारी की जा रही है.
जारी सूची में कुछ नए हैं तो कुछ पुराने भी दिख रहे है. जिनका "खूंटा" मजबूत था, वह फिर से जिला अध्यक्ष बन गए है. सूत्र बताते है कि इस सूची में झारखंड के लगभग सभी बड़े नेताओं की पसंद का ख्याल रखा गया है. कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि जामताड़ा के दीपिका बेसरा को मंत्री इरफान अंसारी की पसंद पर फिर से जिला अध्यक्ष बनाया गया है. धनबाद के जिला अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह के लिए भी कांग्रेस के विधायक अनूप सिंह पैरवी कर रहे थे. बता दे कि संगठन सृजन कार्यक्रम से प्रदेश के नेताओं को लगभग दूर रखा गया था. लेकिन सूची जो सामने आई है, उससे यह नहीं कहा जा सकता कि नेताओं का प्रभाव इस सूची पर नहीं दिख रहा है. यह अलग बात है कि झारखंड के दो विधायकों को भी जिला अध्यक्ष बनाया गया है. एक पूर्व मंत्री भी जिला अध्यक्ष बने है. रामगढ़ में विधायक ममता देवी को जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि सिमडेगा में विधायक भूषण बाड़ा को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं पूर्व मंत्री जेपी पटेल को हजारीबाग का जिला अध्यक्ष बनाया गया है.
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार हरेक ज़िले में वहां के बड़े नेताओं की पसंद का ध्यान रखा गया है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार देवघर और दुमका में प्रदीप यादव ,गोड्डा में दीपिका पांडेय सिंह ,पाकुड़ और साहिबगंज में आलमगीर आलम ,जामताड़ा में इरफान अंसारी ,धनबाद में अनूप सिंह ,बोकारो में राजेश ठाकुर ,रांची नगर और ग्रामीण में सुबोध कांत सहाय और सुरेश बैठा ,लोहरदग्गा में सुखदेव भगत ,पूर्वी सिंघभूम में प्रदीप बलमुचू की पसंद का ख्याल रखा गया है. पलामू में विमला कुमारी के मामले में किसी की नहीं चली ,यहाँ राधा कृष्ण किशोर की नहीं चली. वह तो अपने बेटे को जिला अध्यक्ष बनवाना चाहते थे. कांग्रेस सूत्र बताते है कि कुछ का चयन तो मेरिट पर हुआ है लेकिन अधिसंख्य गणेश परिक्रमा से ही बने है. आगे अब क्या होता है ,निर्णय पलटता है या बरकरार रहता है ,यह देखने वाली बात होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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