धनबाद(DHANBAD): झारखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी का केवल चेहरा बदला है. उसकी आत्मा आज भी झारखंड के उद्योगों में, शासको में जिंदा है. यह कहना है झारखंड के चर्चित विधायक जयराम महतो का. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि बिरसा मुंडा ने जब अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ी, तो वह केवल बंदूक की लड़ाई नहीं थी. वह अपनी जमीन, अपनी पहचान और अपने लोगों के हक की लड़ाई थी. सिदो -कान्हू ने भी इसी मिट्टी के लिए अपने प्राण दिए. उन्होंने हूल विद्रोह में संथालों को एकजुट कर कहा था -यह हमारी धरती है, इसे कोई नहीं छीन सकता. लेकिन आज जब झारखंड में विस्थापित प्रेम महतो जैसे युवा अपनी हक की बात करते हैं, तो क्या बदल गया?
केवल ईस्ट इंडिया कंपनी का चेहरा बदल गया है
केवल ईस्ट इंडिया कंपनी का चेहरा बदल गया, पर उसकी आत्मा आज भी इन उद्योगों में ,शोषकों में जिंदा है. लाचार, शोषित और गरीब की आवाज को कुचलने की क्रूरता-- आगे उन्होंने कहा है कि संघर्ष जारी रहेगा. ना रुकूंगा, ना थकूंगा. बोकारो कांड के बाद विधायक जय राम महतो विस्थापितों के आंदोलन को लेकर आक्रामक हो गए है. लगातार विस्थापितों की बात कर रहे है. वह कहते हैं कि बहुत सारे लोग विधायक बनने की बात विस्थापितों के आंदोलन में शामिल हो रहे, लेकिन वह तो जब विधायक नहीं थे, तभी से विस्थापितों के आंदोलन के सहभागी रहे है.
एक विधायक ने दूसरे पर पुलिस में करायी एफआईआर
बता दें कि बोकारो कांड के बाद विधायक जयराम महतो ने बोकारो की विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ बोकारो सिटी थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है. इस मुकदमे की भी खूब चर्चा हुई. इस आंदोलन की वजह से बोकारो स्टील प्लांट का उत्पादन लगभग 36 घंटे तक बंद रहा, अधिकारियों की संस्था ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. कई दौर की वार्ता हुई, उसके बाद धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो की मौजूदगी में मृत विस्थापित के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को अस्थाई नौकरी पर समझौता हुआ. यह भी बात तय हुई कि जितने भी विस्थापित हैं, जो बोकारो स्टील से प्रशिक्षण ले चुके है. बारी-बारी से उन्हें नौकरी दी जाएगी.
झारखंड में विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है
वैसे भी झारखंड में विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा है. अगर कोयलांचल की बात की जाए, तो यहां भी आंदोलन होते रहते है. कोयला उत्पादक कंपनी बीसीसीएल और उसके अधीन काम कर रही आउटसोर्सिंग कंपनियो पर विस्थापितों के साथ बुरा वर्ताव करने के आरोप लगते रहे है. बाघमारा की खरखरी में तो 9 जनवरी को भारी बवाल हो गया था. इस हंगामा में गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया गया था. बोकारो में विस्थापित की मौत के बाद नए ढंग से आंदोलन की शुरुआत हुई है. देखना है आगे आगे होता है क्या ---
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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