पाकुड़ (PAKUR): यह कोई बाढ़ प्रभावित इलाका नहीं है, न ही किसी नदी का किनारा यह है हिरणपुर बाज़ार की मुख्य सड़क, जो अब गड्ढों के साम्राज्य में तब्दील हो चुकी है. सड़क कम और दलदल ज्यादा, मानो कोई सरकारी स्वीकृत तालाब योजना ज़मीन पर उतर आई हो.

हर कदम पर डर, हर पहिए के नीचे मौत का अंदेशा

आम जनता हो, ई रिक्शा चालक या दुकानदार  सबने एक ही सुर में कहा: यह सड़क नहीं, सजा है रोज़ाना हादसे, ऑटो पलटना, लोगों का गिरना अब यहां न्यू नॉर्मल बन चुका है. ई-रिक्शा वाले बोलें  यहां रोज़ का स्टंट फ्री में होता है! कभी रिक्शा पलटे, कभी ऑटो धंसे, हर रोज़ कोई न कोई फंसे. राहगीर तो मानो सांप-सीढ़ी खेलते हुए चल रहे हैं  एक गलत कदम और गए गड्ढे में.
 
नेता-अफसर यहां से रोज गुजरते हैं, लेकिन जैसे आंखों पर विकास' की पट्टी बंधी हो. गड्ढे उन्हें नमस्ते करते हैं, वो बिना देखे आगे निकल जाते हैं. लगता है या तो सड़क इनकी नज़रों से इनविज़िबल है, या फिर जनता की तकलीफों का वजन उनकी गाड़ियों तक पहुंचता ही नहीं.
लोगों ने पाकुड़ जिला उपायुक्त से अपील की है कि अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ, तो ये सड़क नहीं, दुर्घटनाओं का धंधा बन जाएगी.

रिपोर्ट : नंद किशोर मंडल / पाकुड़