टीएनपी डेस्क: बिहार चुनाव में राहुल गांधी की मेहनत पर किसने फेर दिया पानी? प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी को लेकर गुस्से में क्यों है स्थानीय नेता और कार्यकर्ता, यह सवाल अब धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है. क्या कांग्रेस शुरुआती दिनों में जिस तरह से फ्रंटफुट पर खेल रही थी, अचानक वह बैकफुट पर क्यों आ गई?झामुमो को लेकर वह क्यों चुप हो गई ? टिकट की घोषणा से लेकर उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस क्यों पिछड़ गई? कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तक को कुटुंबा सीट से चुनौती मिली. हालांकि यह मामला अब सलट गया है.
कुटुंबा सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को ही मिली थी चुनौती
राजद अब कुटुंबा से उम्मीदवार नहीं देगा. बिहार में राहुल गांधी ने "वोट चोर , गद्दी छोड़" का नारा देकर कई दिनों तक पदयात्रा की. लोगों से संपर्क किया, कई लोगों को टिकट देने का भरोसा मिला, लेकिन जब टिकट का बंटवारा हुआ तो पेंच फंस गया. स्थिति तो यह हुई कि महागठबंधन के घटक दलों को अलग-अलग उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करनी पड़ी. इस वजह से महागठबंधन के विरोधी एनडीए को हमला बोलने का मौका मिल गया है. सीटों के बंटवारों का उलझन खत्म नहीं हुआ और कई जगहों पर घटक दल के कई उम्मीदवार खड़े हो गए. बिहार चुनाव के कई सीटों पर महागठबंधन के सहयोगी दलों के आमने-सामने होने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा है.
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने महागठबंधन पर कसा तंज
उनका कहना है कि कांग्रेस, आरजेडी अथवा इंडिया गठबंधन में जो भी लोग हैं, वह अपने निजी स्वार्थ के लिए है. इसका जवाब महागठबंधन को जनता देगी. जीतन राम मांझी ने कहा है कि ऐसा गठबंधन अगर सरकार बनाएगा , तो उसका टूटना तो तय है. सूचना के अनुसार महागठबंधन में 10 से अधिक सीटों पर सहयोगी दल आमने-सामने है. चार सीटों पर राजद और कांग्रेस तथा 8 सीटों पर अन्य सहयोगी दलों में फाइट है. दो चरणों के नामांकन की तारीख समाप्त हो जाने के बाद भी महागठबंधन ने सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान नहीं किया है. यह अलग बात है कि सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए हैं और सभी ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है. राजद ने 143, कांग्रेस ने 62, माले ने 20,वीआईपी ने 14, सीपीआई 6 और सीपीएम ने चार प्रत्याशी मैदान में उतारे है.
बिहार में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर कार्यकर्ताओं के निशाने पर है.
बिहार में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर कार्यकर्ताओं के निशाने पर है. प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पर आरोपों की बौछार हो रही है. महागठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर जो सब कुछ हुआ, यह कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रहा है. कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं का कहना है कि राहुल गांधी के मेहनत पर पानी फेर दिया गया है. कांग्रेस के लोग ही बताते है कि बिहार में कुछ सीट ऐसी हैं ,जिनमें राहुल गांधी की भी नहीं चली है. उदाहरण के तौर पर लोग बताते हैं कि माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी के घर जब राहुल गांधी पहुंचे थे, तो पूरे इलाके में चर्चा थी कि बारा चट्टी सीट से भागीरथ मांझी को टिकट मिलेगा. लेकिन कांग्रेस की लिस्ट में उनका नाम नहीं आया. महागठबंधन की ओर से राजद वहां तनुश्री मांझी को टिकट दिया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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