धनबाद (DHANBAD) : बिहार में वोट अधिकार यात्रा से एक अलग बात भी उठ गई है कि पहले विवाह राहुल गांधी करेंगे अथवा चिराग पासवान. दोनों अभी अविवाहित है. राहुल गांधी तो लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं तो चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री है. दरअसल, चिराग पासवान के आरोप पर मीडिया ने तेजस्वी यादव ने सवाल पूछा था. तेजस्वी यादव के बारे में चिराग पासवान ने कहा था कि अब कांग्रेस के पिछलग्गू बनकर घूम रहे है. इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि चिराग पासवान किसके हनुमान है, यह पता ही है.  हम लोग तो जनता के हनुमान हैं, वह व्यक्ति विशेष के हनुमान है. इसके बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि चिराग पासवान के सवाल पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे- लेकिन उनको सलाह जरूर देंगे, हमारे बड़े भाई है. जल्द से जल्द शादी कर ले. तेजस्वी के इस सलाह पर बगल में बैठे राहुल गांधी ने तेजस्वी से माइक ले ली और कहा मेरे लिए भी एप्लीकेबल है. फिर तेजस्वी यादव ने कहा-पापा कब से कह रहे है. राहुल गांधी इस पर जवाब देते हैं, चल रही है. बात इनके फादर के साथ.  

ऐसा होने पर शुरू हुई चर्चाएं, अब आगे क्या 

इसके साथ यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या राहुल गांधी सच में विवाह पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं या फिर वह हल्के मूड में जवाब दिया. राहुल गांधी ने रविवार को पूर्णिया की सड़कों पर बुलेट भी चलाई. अब इस पर भी तंज कसा जा रहा है. जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने बड़ा तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि अगर लालू राज होता तो एक  दिन में पटना से दरभंगा भी नहीं पहुंच पाते. नीतीश कुमार ने सड़क बनवा दी है, तो बुलेट की सवारी कर रहे है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बर्बाद बिहार की विरासत मिली थी. जिसे उन्होंने संभाल  दिया.  बिहार के लोगों को नीतीश कुमार के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है. अगला सीएम  वही बनेगे. 

2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला था
 
बता दें कि 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. उस समय बिहार आपराधिक घटनाओं से परेशान था. नीतीश कुमार ने निश्चित रूप से बाहुबलियों पर शिकंजा कसा था. लेकिन बाद  के दिनों में नीतीश कुमार का एक्शन ढीला पड़ता गया. फिलहाल नीतीश सरकार अपराध को लेकर भी राजनीतिक दलों के निशाने पर है. वैसे वोट अधिकार यात्रा बिहार में चल रही है.  इधर वोटर  अधिकार यात्रा के समापन को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है. वोटर अधिकार यात्रा का समापन 1 सितंबर को होना है. घोषित प्रोग्राम के अनुसार समापन पटना के गांधी मैदान में होना है. लेकिन इसमें बदलाव की परिस्थितियां बन रही है. अब तक जिला प्रशासन ने गांधी मैदान आवंटित नहीं किया है. इस वजह से समापन स्थल को लेकर संशय बना हुआ है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो