टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए तीन लोगों ने नामांकन दाखिल किया है. इसमें मुकाबला शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच माना जा रहा है. इसमें भी सबसे बड़े दावेदार मलिकार्जुन खड़गे को माना जा रहा है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि खड़गे पार्टी आलाकमान के चहेते हैं. इसके साथ ही उन्होंने दिग्विजय सिंह सहित कई पार्टी नेताओं के समर्थन से दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में अपना नामांकन दाखिल किया, जो पहले चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे.
मल्लिकार्जुन खड़गे कैसे बने पार्टी आलाकमान के चहेते
दरअसल, इस साल 21 जुलाई से दो दिन पहले, जब कर्नाटक के कलबुर्गी में खड़गे के 80वां जन्मदिन मनाने के लिए भव्य तैयारी की गई थी. तब मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बयान जारी किया. खड़गे के बयान का स्पष्ट संदेश था कि उनके जन्मदिन पर कोई जश्न नहीं. इसका बस एक कारण था. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगले दिन 21 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होना था.
अपने जन्मदिन पर, 80 वर्षीय कांग्रेस नेता को संसद से सड़क तक (संसद से सड़कों तक) लड़ते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा गया और बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी ले लिया. खड़गे के गांधी परिवार से भी अच्छे संबंध हैं, खासकर राहुल गांधी से.
राहुल गांधी के चश्में में फिट बैठते खड़गे
इसके साथ ही उन्हें एक कट्टर कांग्रेसी माना जाता है. कोचीन में अगले पार्टी प्रमुख के लिए सलाह के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा था कि जो कोई भी अगला कांग्रेस अध्यक्ष बनता है उसे याद रखना चाहिए कि वे "विचारों के एक समूह, एक विश्वास प्रणाली और भारत की दृष्टि" का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा था कि आप एक ऐतिहासिक पद ले रहे हैं जो भारत के एक विशेष दृष्टिकोण को परिभाषित करती है. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष एक वैचारिक पद है.
राहुल गांधी के इस विवरण पर खड़गे बिल्कुल फिट बैठते हैं. एक कट्टर कांग्रेसी खड़गे अपने जमीनी स्तर से संगठन में उभरे हैं. 1969 में वे गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और विभिन्न स्तरों पर संगठन के लिए काम किया. उनके अन्य विपक्षी नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध हैं.
1969 में थामा कांग्रेस का हाथ
खड़गे 1969 में कानून के जानकार के रूप में कांग्रेस में शामिल हुए. उन्होंने अपना पहला चुनाव 1972 में गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा था. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष खड़गे आठ बार विधायक, दो बार लोकसभा सांसद रहे और वर्तमान में वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वह एकमात्र चुनाव हारे, वह 2019 का लोकसभा चुनाव था. चुनावी विधानसभा चुनाव और लोकसभा दोनों में उनकी लगातार 10 अभूतपूर्व जीत हुई है.
UPA सरकार में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
खड़गे ने यूपीए सरकार के साथ-साथ कांग्रेस संगठन दोनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कर्नाटक में, विपक्ष के नेता होने के अलावा खड़गे गृह मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री भी थे. राष्ट्रीय स्तर पर यूपीए 2.0 के तहत खड़गे मई 2009 से जून 2013 तक श्रम और रोजगार मंत्री थे. फिर वे जून 2013 से मई 2014 तक केंद्रीय रेल मंत्री बने. 2014 के बाद खड़गे लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता थे और वर्तमान में वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं.
एक छात्र संघ के नेता, खड़गे को गुलबर्गा में सरकारी कॉलेज के छात्र निकाय के महासचिव के रूप में चुना गया था जहाँ उन्होंने पढ़ाई किया था. उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. यह वही समय था जब संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली मजदूर संघ के नेता खड़गे गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे. वे पेशे से वकील भी बने और मजदूरों के लिए कई मुकदमें लड़े.
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