रांची (RANCHI): झारखंड में इधर दो-तीन दिनों से खतियानी राजनीति गर्म है. इसके पक्ष में तो जमकर नारबाजी, जलसा, जुलूस और बयानबाजी जारी है, लेकिन इसके विरोध के स्वर बेहद मद्धिम हैं. इस बीच राज्य के एक बड़े आदिवासी नेता ने एक कड़ा बयान दे दिया है. ये नेता लोकसभा के  डिप्टी स्पीकर भी रह चुके हैं. आप सही समझे, बात करिया मुंडा की ही है. उन्होंने कहा कि  हेमंत सरकार 1932 खतियान के बहाने आदिवासियों को छल रही है. 

भाजपा को भी लिया निशाने पर

1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर पर वरिष्ठ भाजपा नेता पद्मभूषण करिया मुंडा ने इसे मात्र एक राजनीतिक एजेंडा बताया है. वहीं अपनी ही पार्टी को भी निशाने पर लिया है. कहा कि राज्य में जिस भी दल की सरकार रही हो, भाजपा की ही क्यों न हो, सभी ने आदिवासियों की अनदेखी की है. जितनी भी सरकारें बनीं किसी ने भी आदिवासी हितों का ध्यान नहीं रखा और ना ही उनका विकास किया. राजनीति तो सभी आदिवासी के नाम पर करते हैं, लेकिन सत्ता सभालते ही वादे से मुकर जाते हैं.

वोट बैंक की राजनीति

करिया मुंडा ने सरकार पर आरोप लगाया कि आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में रिझााने के लिए उक्त निर्णय लिये गए हैं. जबकि अभी इसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है. जबतक कि स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान वाला कानून बनकर लागू नहीं हो जाता, उससे पहले ढोल-नगाड़े पर नाचना-झूमना ठीक नहीं. उन्होंने ऐसे लोगों पर जमकर कटाक्ष किया.