धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में निगम चुनाव का रास्ता साफ होता जा रहा है और इसके साथ ही निगम चुनाव लड़ने वालों की तैयारी भी बढ़ती जा रही है. गुणा -गणित होने लगे है. साथ ही निगम चुनाव होने के पहले गठबंधन में दलों की भी परीक्षा होगी. दरअसल, झारखंड में निगम चुनाव अभी तक दलीय आधार पर तो नहीं होते रहे हैं, लेकिन उम्मीदवारों को किसी न किसी दल का समर्थन होता है. ऐसे में अगर निगम चुनाव होते हैं तो गठबंधन के नेता किस सीट पर कहा किसको समर्थन देंगे, यह देखने वाली बात होगी. एनडीए को भी परेशानी होगी तो गठबंधन को भी जद्दोजहद करना पड़ सकता है.
धनबाद में अगर चुनाव की बात की जाए तो यहां कांग्रेस में भी उम्मीदवार हैं, झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी उम्मीदवार हैं, राजद के भी उम्मीदवार है. इधर, धनबाद में 2024 के विधानसभा चुनाव में माले को पहली बार दो सीट मिली है. इसलिए यह माना जाना चाहिए कि माले भी किसी न किसी उम्मीदवार को समर्थन दे सकता है. दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के बाद निकाय चुनाव में पार्टियों की परीक्षा होगी. आरक्षण रोस्टर पहले की तरह रहेगा या बदलेगा, इस पर भी अभी संशय बना हुआ है. ट्रिपल टेस्ट की फाइनल रिपोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंप दी गई है.
उस रिपोर्ट के आधार पर धनबाद में 4.54 लाख पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी है. रांची में 2.6 लाख की आबादी है. झारखंड के नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए शुरू हुई ट्रिपल टेस्ट की फाइनल रिपोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंप दी गई है. . इसे अब मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा. राज्य सरकार इस रिपोर्ट को कैबिनेट में पेश करेगी. उसके बाद इसका नोटिफिकेशन जारी होगा. फिर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा जाएगा. इसके बाद निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव पर अंतिम फैसला लेगा. इस रिपोर्ट के मिल जाने से अब निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि निकाय चुनाव नहीं होने से झारखंड को भी नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार ने निकाय चुनाव नहीं होने से राशि रोक दी है. चुनाव हो जाने के बाद उम्मीद की जा रही है कि रोकी राशि को विमुक्त कर दिया जाएगा. बात सिर्फ इतनी नहीं है, ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट में जो बातें सामने आई है, उसके अनुसार निकाय चुनाव के आरक्षण रोस्टर में भी बदलाव करना पड़ सकता है.
मतलब साफ है कि यह आबादी कई जगहों के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है. महागामा ,राजमहल, बरहरवा और मधुपुर जैसे नगर परिषद, नगर पंचायत क्षेत्र में अति पिछड़ा और ओबीसी मिलकर कुल मतदाताओं की संख्या आधे से अधिक है. ऐसे में कहा जा सकता है कि निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के आरक्षण का रोस्टर बदलना पड़ सकता है. बता दे कि ट्रिपल टेस्ट की फाइनल रिपोर्ट तैयार करने को लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने 24 जिलों के 49 नगर निकायों में घर-घर सर्वे कराया गया था. रिपोर्ट में कोई त्रुटि नहीं हो, इसके लिए फाइनल रिपोर्ट बनाने की जिम्मेवारी संत जेवियर्स कॉलेज को दी गई थी. फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के दौरान संत जेवियर्स कॉलेज ने मध्य प्रदेश में ट्रिपल टेस्ट के अंतर्गत समर्पित रिपोर्ट का अध्ययन किया. फाइनल रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सभी नगर निकायों में सामान्य कोटि के 34% मतदाता, बीसी-वन के 33%, बीसी-2 के 14%, एससी के 11% और एसटी के 8% मतदाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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