देवघर (DEOGHAR) : पिछले दो सालों से सरस्वती गढ़ने वालों पर लक्ष्मी की कृपा नहीं हो पा रही है. ऊपर से मौसम की मार ने और भी आफत ला दी है. बात हो रही है मूर्तिकारों की, जो पिछले दो सालों से मां शारदा की मूर्ति बनाने का काम सही तरीके से नहीं कर पा रहे. इस वर्ष जो थोड़ी मूर्तियां बनाई भी, वह बेवक्त के बारिश में खराब हो गईं.

टूट गईं मूर्तियां

पांच फरवरी को सरस्वती पूजा है. देवघर के कलाकारों द्वारा पिछले कई दिनों से कड़ी मेहनत कर मां सरस्वती की एक से बढ़कर एक प्रतिमा बनायी गई हैं. लेकिन प्रकृति की मार ने कलाकरों को दुबारा मेहनत करने पर मजबूर कर दिया है.  मूर्तिकार कुंदन कुमार कहते हैं कि बीती रात देवघर में बारिश होने से मां सरस्वती की बनी बनाई प्रतिमा को नुकसान पहुंचा है. बारिश होने से रात भर मूर्तिकार जाग कर मूर्ति को बचाने का प्रयास किए, लेकिन अधिकांश मूर्ति गीली हो गईं. वहीं कई मूर्तियां टूट भी गईं.  मूर्तियों को अहले सुबह से मरम्मत और रंग रौग़न कर दुबारा बनाने में समय और पैसा खर्च हो रहा है.

महंगा हुआ मूर्ति निर्माण

मूर्तिकार बताते हैं कि एक तो पहले ही मिट्टी की लागत बढ़ने से हम परेशान हैं. पेंट, प्रतिमा सज्जा की समाग्री भी पहले से अधिक महंगी हो गई है. ऐसे में  पहले की तुलना में मूर्ति निर्माण 25 % तक महंगा हो गया है. इसके बाद कोरोना और मौसम की मार का आलम यह है कि लोग अब यह व्यवसाय छोड़ने को विवश हो रहे. कोई सब्जी बेच रहा तो कोई गोल गप्पे के खोमचे लगाने को विवश है.

 कोरोना की वजह से पहले से ही सीमित समितियों द्वारा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस कारण इस बार अधिक मूर्ति भी नही बनायी गईं हैं. दूसरी तरफ बारिश ने मूर्तिकारों की कमर और तोड़ दी.