टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आज 14 सितंबर है. इस दिन का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि आज हिन्दी दिवस है. हिन्दी को आमतौर पर एक भाषा माना जाता है. पूरी दुनिया के लिए यह महज एक भाषा हो सकती है, मगर, हम जैसे भारतीयों के लिए यह भाषा कम हमारी जननी ज्यादा है. जैसे हमारी माता हमें जन्म देती है. उसी तरह हिन्दी हमें संचार का सबसे सुगम जरिया देती है. हमारे लिए हिन्दी वैसी ही है जैसे हमारे लिए भारत माता.

वैसे तो हिन्दी भाषियों के लिए हर रोज हिन्दी दिवस है. मगर, जैसे हर आदमी अपना जन्मदिन मनाता है, लोग अपनी एनेवर्सरी मनाते हैं, वैसे ही हिन्दी को सम्मान देने के लिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है. जन्म दिन मनाने के पीछे जैसे कारण होता है कि हम उसी दिन जन्म लिए होते हैं, इसलिए जन्मदिन उसी दिन मनाते हैं, ठीक उसी तरह हिन्दी दिवस को भी 14 सितंबर को मनाने के पीछे बड़ा कारण है. और यह कारण भारत और हिन्दी के इतिहास में मिलता है.

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हिन्दी दिवस का इतिहास

दरअसल, 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाने के पीछे जो खास महत्व है वह यह है कि आज ही के दिन यानी 14 सितंबर को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया था.

14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी भारत की आधिकारिक भाषा होगी. इस दिन को चिह्नित करने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन बेहर राजेंद्र सिन्हा का जन्मदिन भी है, जो एक प्रशंसित भारतीय विद्वान थे. सिन्हा को भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि में चित्रण के लिए जाना जाता है. राजेंद्र सिन्हा के 50 वें जन्मदिन पर ही हिंदी भाषा को आधिकारिक रूप से अपनाया गया. 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का फैसला भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. जिसके बाद से हर वर्ष हिन्दी दिवस मनाया जाता है.  

हिन्दी दिवस का महत्व

1949 से हिन्दी दिवस पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों और अन्य स्थानों पर हर साल मनाया जाता है. यह दिन भारत में हिन्दी भाषा के महत्व को दर्शाता है. देश भर में भाषा और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है. हिन्दी भारत में आधिकारिक भाषा है और फिजी, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मॉरीशस, अन्य जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है. दुनिया भर में 420 मिलियन से अधिक लोग हिन्दी को अपनी पहली भाषा के रूप में बोलते हैं, जबकि 12 करोड़ लोगों की हिंदी दूसरी भाषा है. हिन्दी दिवस के अलावा, 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देना था.

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हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में हिन्दी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हिन्दी दिवस के अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसमें छात्र इस भाषा में भाषण तैयार करते हैं, जबकि कुछ छात्र इस अवसर पर निबंध, कविता, कहानियां सुनाते हैं. कई संस्थान हिंदी दिवस मनाने के लिए सांस्कृतिक उत्सव और गतिविधियाँ आयोजित करते है. राजभाषा कीर्ति पुरस्कार, राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे पुरस्कार मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और नागरिकों को हिंदी भाषाओं में उनके योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं.

हिन्दी दिवस पर सीख लेने की जरूरत

हिन्दी भाषा के महत्व और इतिहास के बारे में जानने से ज्यादा हमें इसके इतिहास से सीख लेने की जरूरत है. हमें समझना होगा कि हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं बल्कि देश का गौरव है. कहा जाता है कि किसी देश को नष्ट करना है तो सबसे पहले उसकी भाषा को खत्म कर देनी चाहिए. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान भारतीय भाषा पर भी सबसे ज्यादा वार किया गया. मगर, तब के विद्वानों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. मगर, आज हिन्दी का प्रचलन तो बढ़ा है. लेकिन कई जगह आज भी हिन्दी में बात करने वाले को हीन दृष्टि से देखा जाता है. स्कूलें अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई करा रही हैं और हिन्दी को सिर्फ एक विषय के रूप में सीमित कर दिया गया है. स्कूलों में सभी को अंग्रेजी में ही बात करने का नियम बनाया जा रहा है. इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वालों कि संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इससे आप खुद समझिए कि ऐसे में हिन्दी को आप कितना सम्मान दे रहे हैं.