टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड के एक शहर के जमीन के अंदर 109 साल से आग लगी है. जमीन के अंदर धधक रही आग कई ज़िंदगी को अपने अंदर समा चुकी है. लेकिन अब इस शहर के आस पास रहने वाले लोगों के लिए सरकार ने एक मास्टर प्लान बनाया है. जिससे नर्क जैसी ज़िंदगी से बेहतर जीवन मिलने की उम्मीद सभी को जगी है. यहां रहने वाले की ज़िंदगी ही आधी हो गई लेकिन अब शायद आने वाली पीढ़ी फिर से अच्छा और स्वस्थ्य जीवन बीता पाएगा. हम बात धनबाद के झरिया की कर रहे है. जो पिछले कई दशकों से जल रहा है. यहां के लोग हर दिन मौत को करीब से देखते है.
1916 से जल रहा झरिया
तो चलिए इस झरिया की कहानी बताते है. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि झरिया में पहली बार 1916 में भैरों कोलियरी में आग लगी थी. लेकिन इस पर किसी की नजर नहीं गई. आखिर में देखते ही देखते पूरे झरिया में आग फैल गई. इसका सबसे बड़ा प्रभाव स्थानीय लोगों पर पड़ा है. इस खदान की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. हम ऐसा इस लिए कह रहे हैं कि झरिया का कौन सा इलाका कब जमींदोज हो जाए यह बताना मुश्किल है. कभी सड़क धंस जाती है तो कई बार घर के साथ उसमें रह रहे लोग भी काल के गाल में समा जाते है.
अगर झरिया के कुछ इलाके को देखें तो इसमें संख्या काफी अधिक है. 595 आग से प्रभावित क्षेत्र है. जिसमें हर दिन मौत मंडराती रहती है. इसमें 81 से अधिक को खतरनाक घोषित कर दिया गया है. यहां रहने वाले सभी परिवार को तुरंत दूसरे जगह शिफ्ट करने का आदेश दिया. अगर कुछ गांव को देखें तो इसमें कतरास,लोदना,बरोरा सबसे ज्यादा प्रभावित है. इसके अलावा और भी इसके आस पास के क्षेत्र है जो अग्नि प्रभवित है. इन इलाकों को रेड जोन में रखा गया है.
झरिया में हर सुबह एक नई आफत जैसी
अगर इन इलाकों के लोगों की समस्याओं को देखें तो हर सुबह एक नई आफत लेकर आती है. पहला रोजगार की दिक्कत और दूसरा आखिर क्या होगा. क्या ऐसे ही ज़िदगी खत्म होती रहेगी. यहां के लोगों की ज़िंदगी नर्क से भी बदतर हो गई है. कोयला की आग से निकलती जहरीली गैस यहां के लोगों के लिए कई बीमारी का घर भी है. आस पास धुंआ निकलता है. जिससे कई मां बांझ हो गई. इतना ही नहीं यहां के लोगों की ज़िंदगी की आयु भी कम हो गई है. आम लोगों के मुकाबले यहां के लोग 10-20 साल कम जीवित रहते हैं.
केन्द्रीय कैबिनेट के प्रस्ताव से मिली एक नई सुबह की उम्मीद
लेकिन अब केन्द्रीय कैबिनेट ने एक ऐसा प्रस्ताव लाया है, जिससे झरिया के लोगों को उम्मीद जागी है. अब उन्हें शिफ्ट किया जाएगा और मास्टर प्लान के तहत उनकी ज़िंदगी भी बेहतर होगी. इस जहरीली गैस और धंसान से बच जाएंगे और आने वाली पीढ़ी उनकी खुशहाल होगी. अब यह जान लेना जरूरी है कि आखिर मोदी का मास्टर प्लान क्या है, और इस मास्टर प्लान से झरिया कितना बदल जाएगी. इसमें जो खर्च होगा उससे कितना लाभ मिलेगा.
सबसे पहले साल 2009 में झरिया के लिए मास्टर प्लान बना था, लेकिन इसे संसोधित करते हुए 2025 में मोदी कैबिनेट ने प्रस्ताव को पास किया. 5940 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है. जिससे झरिया के लोगों को अच्छी और नई ज़िंदगी मिल सके. पुनर्वास के साथ-साथ आजीविका और कौशल विकास पर फोकस किया गया है. यानी इससे साफ है कि अब कुछ दिनों की झरिया के लोगों की बदहाली है, फिर एक नया सवेरा होगा और झरिया एक नई झरिया के रूप में दिखेगी.
इस संसोधित मास्टर प्लान में पुनर्वास के साथ-साथ परिवार को आजीविका और रोजगार पर भी जोर दिया गया है. इस नई झरिया में स्कूल कॉलेज के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत करने पर भी जोर दिया गया है. सड़क, बिजली, पानी के साथ-साथ हर वो सुविधा दी जाएगी जिसकी जरूरत है. इसके साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए परिवार को अनुदान के तौर पर एक लाख रुपये जबकि संस्थागत लोन तीन लाख रुपये तक दिए जाएंगे.
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