पटना(PATNA): यह जो तस्वीर है, इसे हिंदुस्तानियत कहते हैं. जिसमें धर्म, जाति, भाषा और वर्ग मिलकर एक ही रंग में मिल जाते हैं, जिसमें होता है प्रेम, बंधुत्व और भाईचारा. अर्थी है बुजुर्ग रामदेव की और जनाज़े को कांधा दे रहे हैं मोहम्मद अरमान और उनके परिजन. मोहब्बत से लबरेज़ यह कहानी पटना के समनपुरा की है. जब मुस्लिम परिवार अंतिम संस्कार के लिए राम नाम सत्य बोलते हुए हिंदू शख्स की अर्थी को पटना के गंगा घाट तक लेकर गया.
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सौहार्द की मिसाल पेश की
रामदेव (75 वर्ष) का इस दुनिया में कोई सहारा नहीं था. लगभग 25 से 30 वर्ष पूर्व कहीं से भटकता हुए वह राजा बाजार के समनपूरा पहुंचे. वह काफी भूखे थे. वहां के एक परिवार ने उन्हें खाना खिलाया. इसके बाद मोहम्मद अरमान ने उसे अपनी दुकान में सेल्समैन के रूप में रख लिया. लगातार काम करने के बाद लगभग उसकी उम्र 75 वर्ष के आसपास हो चली थी. शुक्रवार को अचानक रामदेव की मृत्यु हो गई. बताया जा रहा है कि रामदेव की मृत्यु के बाद आसपास के सभी मुसलमान भाइयों ने मिलकर उसके लिए अर्थी सजाई और पूरे हिंदू रीति-रिवाज से पटना के गुलबी घाट ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया. हिंदू शख्स का अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के दौरान सड़क किनारे खड़े लोग बड़े ही कौतूहल से देखते रहे.
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