रांची (RANCHI) : झारखंड की राजधानी रांची में पर्यटन और तीर्थ के कई स्थान हैं जहां लोग अपने व्यस्त जीवन से समय निकाल कर जाते हैं और प्रकृति के उपहार का आनंद उठाते हैं. यहां सूर्यमंदिर, जगन्नाथ मंदिर, दिउड़ी मंदिर, पहाड़ी मंदिर जैसे कई मंदिर हैं, जहां लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने और  दर्शन के लिए जाते हैं. इन सभी मंदिरों के बारे में लोग जानते हैं, पर रांची में ही एक छोटे से पहाड़ पर स्थित एक प्राकृतिक मंदिर है जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं. यह मंदिर हैं ओरमांझी ब्लॉक में एनएच 20 से डेढ़ किलोमीटर स्थित उलातू गांव में. उलातू गांव के गगारी पहाड़ी पर स्थित भगवान शंकर का यह महाकालेश्वर मंदिर बिल्कुल प्राकृतिक है. प्राकृतिक इसलिए क्योंकि इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग और भगवान गणेश की प्रतिमा किसी व्यक्ति ने नहीं बनाई है बल्कि वह खुद ही वैसी ही बनी हुई है. इस मंदिर में भगवान शिव और गणेश के अलावा माता पार्वती और नंदी की भी प्रतिमा मौजूद है. मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.  

सपने में दिया था नागदेव ने दर्शन

इस मंदिर के बारे में प्रचलित कहानी की बात करें तो मान्यता है कि 1994 ईसवी में जेठु भगत नामक व्यक्ति के सपने में नागदेव ने दर्शन दिया था. जब वो नागदेव का पीछा करते हैं तो वह नागदेव एक शिवलिंग के पास पहुंचते ही विलुप्त हो जाते हैं. अगले दिन जब जेठु भगत उस जगह जाते हैं तो पाते हैं कि उस जगह सचमुच शिवलिंग मौजूद है और आस-पास चारों ओर सैकड़ों बेल और आंवला के पेड़ हैं. हालांकि, मंदिर निर्माण के क्रम में कुछ बेल के पेड़ को हटाए गए थे. भक्त सुषमा शर्मा की मानें तो हर साल श्रावण महीने में नागदेव शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं इस मंदिर के बगल में एक तालाब भी है और पूरे श्रावण महीने में भक्त इसी तालाब का जल भगवान शिव पर अर्पित करते हैं.

आदिवासियों ने किया इस मंदिर का निर्माण

इस मंदिर की खास बात यह भी है कि इस मंदिर का निर्माण आदिवासियों ने किया है. स्थानीय आदिवासी समाज का इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था है. मंदिर के अलावा इस स्थान से किसी भी प्रकार की कोई छेड़-छाड़ नहीं की गई है.  मंदिर कमिटी के अध्यक्ष अमरनाथ चौधरी ने बताया कि मंदिर में कई जानी मानी हस्ती भी भगवान के दर्शन के लिए पहुंची हैं. इनमें पूर्व सांसद रामटहल चौधरी, वर्तमान रांची सांसद संजय सेठ, समीर उरांव और नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम शामिल है. रघुवर दस की सरकार के समय इस मंदिर तक जाने के लिए सड़क का निर्माण किया गया था. वहीं इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा इस मंदिर के प्रांगण में किसान भवन का निर्माण किया गया है. इसका इस्तेमाल लोग शादी और विवाह के लिए करते हैं.