झारखंड की राजधानी रांची को जलप्रपातो का नगरी कहा जाता है .और झारखण्ड का सौंदर्य चर्चा करने पर जलप्रपातों की चर्चा स्वतः हो जाती है . ऐसे तो रांची मे सौ किमी की दूरी के अंदर कई झरने है पर लोकप्रियता के हिसाब से दशम,हुंडरू और जोन्हा पहले आता है. लेकिन इनमे से सबसे खूबसूरत दस धाराओं से मिलकर बनी दशम जलप्रपात की है.
दस धाराओं से बना दशम फॉल
स्वर्णरेखा की सहायक नदी कांची जब दक्षिणी छोटानागपुर पठार या राँची के पठारी हिस्से से बहती हुई 144 फ़ीट की ऊंचाई से गिरती है तब इस दशम जलप्रपात का निर्माण होता है. दशम फॉल रांची से 40 किमी दूर रांची-टाटा मार्ग पर तैमारा गांव के पास है. यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ है इस गिरावट की अनूठी विशेषता यह है कि जब झरना देखा जाता है, तो दस पानी की धाराएं भी गिरती दिखाई देती हैं. जिसके कारण लोग इसे दशम कहते है. झारखण्ड के पहाड़ों की लीला अगर देखनी हो तो यह जगह सर्वोत्तम है जो पहली नजर में सचमुच हिमालय की घाटियों जैसी ही लगती है. चारों तरफ जंगल ही जंगल हैं और झरने की घाटी काफी गहरी है.
दशम की खूबसूरती पर्यटक को करती है आकर्षक
फरवरी से अप्रैल के बीच का समय दशम फॉल घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसकी प्रसिद्धि दशम घाघ के रूप में भी है. यहाँ पिकनिक के समय काफी भीड़ रहती है, हर जगह सिर्फ झारखण्ड के स्थानीय गाने ही बजते है. साथ ही आप यहाँ कई अडवेंचरस ऐक्टिविटीज भी कर सकते हैं. यहां सालों भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है.वहीं अब धीरे-धीरे यहां पर्यटकों के आने की संख्या बढ़ रही है जिसके बाद उन्हें कई तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है. फॉल में पानी के बढ़ जाने के कारण दशम फॉल की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक दशम की खूबसूरती के दीवाने हुए जा रहे हैं. लगभग एक किलोमीटर पहले से ही पानी के तेज बहाव की आवाज सुनाई देती है.
दशम मे गूंजी थी एक प्रेम कहानी
झारखंड मे भी हीर-रांझा, लैला-मजनू की तरह ही छैला संदू की प्रेम कहानी अधूरी है.'बागुरा पीड़ी' नामक गांव में छैला संदू को 'पाक सकम' गांव की लड़की बिंदी से बेइंतहा प्रेम हो गया था. जिसमे छैला को पाक सकम गांव जाने के लिए दशम फॉल को पार करना पड़ता था. छैला दिनभर काम करने और जानवरों को चराने के बाद शाम के वक्त वह बांसुरी, मांदर और कंधे पर मुर्गा लेकर अपनी प्रेमिका के गांव अपनी थकान मिटाने निकल पड़ता था. दाशम फॉल को पार करने के लिए छैला लता का सहारा लेता था. स्थानीय लोगों को जब उसके इस प्यार का पता चला, तो दोनों को जुदा करने के लिए ग्रामीणों ने उन लताओं को आधा काटकर छोड़ दिया. दूसरे दिन जैसे ही छैला लताओं के सहारे फॉल को पार करने लगा, लता टूट गयी और वह फॉल में समा गया.
दशम के खूबसूरती पर है दाग
दशम फॉल के दामन में मौतों का दाग भी है. यहाँ हर साल 5 ,10 मौतों ने इसके दामन में कुछ दाग भी छोड़े है . रांची का ये जलप्रात हर साल पाँच दस जिंदगीयों को अपने बहते पानी मे समा लेता है . यहां आने वाले पर्यटकों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह जलप्रपात की धारा में नहाएं नहीं, या नहाते वक्त खास सावधानी बरतें. क्योंकि जलप्रपात वेग से गिरता है जिसके कारण ये खतरा हमेशा बना रहता है .पानी के वेग से चट्टानों के बीच अनेक खतरनाक गङ्ढे बन गये हैं, जो पानी से ढंके होने के कारण दिखते नहीं हैं और जहां फंसना जानलेवा साबित हो जाता है . बरसात के समय तो यह काफी भयावह रूप धारण कर लेती है. जिसमे यह काफी खतरनाक भी है और दुर्घटनाओं के कारण अनेक मौतें भी हुई हैं. हाल ही में इसे विकसित कर नीचे तक जाने के लिए बड़ी-बड़ी सीढ़ियाँ बनायीं गयी हैं. चट्टानों पर फिसलने से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तारों के घेरे भी लगाये गए हैं. फिर भी इन चट्टानों पर बड़ी सावधानी से ही चलना पड़ता है.
प्रिति भारद्वाज
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