धनबाद (DHANBAD) : चलिए आज हम धनबाद के गोविंदपुर से दो किलोमीटर दूर खुदिया नदी के तट पर जंगल में स्थापित वन काली मंदिर का दर्शन कराते हैं. मां की प्रतिमा के ऊपर छत नहीं है. ऐसा नहीं कि भक्तों ने छत बनवाने की कोशिश नहीं की लेकिन जब भी कोशिश हुई , छत ढह गई. पुजारी बाबा की मानें तो एक बार तो सेंट्रिंग कर मिस्त्री घर गया और रात में ही सेटिंग ढह गया. मां ने सपना दिया कि उन्हें छत पसंद नहीं है और उसके बाद से बिना छत के मंदिर में मां विराजमान हैं. भक्तों की उनके प्रति अटूट आस्था है. दूर -दूर से लोग आते हैं ,अपनी दुख- पीड़ा बताते है. मन्नते मांगते हैं और वह सब पूरा हो जाता है. यह बात भक्त गर्व से स्वीकारते भी हैं.
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200 साल पुराना मंदिर
पुजारी अमित लायक की मानें तो यह मंदिर 200 साल पुराना है. पहले उनके पिताजी मंदिर के पुजारी थे, उसके पहले उनके दादाजी मंदिर के पुजारी थे और अभी वह है. मां की प्रतिमा दुमका से लाए जाने की बात उन्होंने बताई और कहा कि सच्चे दिल से मांगने वाले की हर मुराद मां पूरी करती है. दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और मां की पूजा-अर्चना करते हैं. भक्त सुनीता देवी ने कहा कि उनके लड़के की नौकरी नहीं हो रही थी, मन्नत मांगने के 20 दिन के भीतर ही नौकरी लग गई और अभी वह अपनी बेटियों को लेकर आई है और मां से जल्द शादी हो जाने की मन्नत मांगी है. बलियापुर से आए गंभीर दास ने कहा कि छोटे से ही हम यहां आते रहे है. और घर के कई लोगों ने मन्नत मांगी ,जो पूरे हो गए, इसलिए हमें जब भी मौका मिलता है, हम मां का दर्शन जरूर करते है.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह, धनबाद
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