टीएनपी डेस्क (TNP DESK) :  डोरंडा कोषागार मामले में लालू यादव को पांच साल की सजा सुनाई गई. साथ ही साठ लाख रुपए जुर्माना भी देना होगा.  बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत 37 दोषियों को सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत में सजा सुनाई गई. इससे पहले 15 फरवरी को अदालत ने चारा घोटाला मामले में 75 अभियुक्तों को दोषी करार दिया. 35 अभियुक्तों को उसी दिन तीन-तीन साल की सजा सुना दी गई थी. बता दें कि इससे पहले लालू को चार अन्य मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. राजद सुप्रीमो 6 बार जेल भी जा चुके हैं. 

जेल प्रशासन ने की थी लैपटाप की व्यवस्था

राजद सुप्रीमो को सजा सुनाने के लिए जेल प्रशासन ने लैपटॉप की व्यवस्था की थी. राजद सुप्रीमो के लिए बिरसा मुंडा कंद्रीय कारागार प्रशासन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था रिम्स के पेइंग वार्ड में ही की थी. वहीं होटवार जेल में बंद दोषी करार दिए गए 37 दोषियों के लिए जेल में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई. एक बड़े LED स्क्रीन पर दोषियों ने अपना फैसला सुना. बता दें कि किसी प्रकार की तकनीकी खामी न हो, इसके लिए पहले से अभ्यास किया गया था.

रात भर नहीं आई नींद

सूत्रों के हवाले मिली जानकारी के अनुसार कल का दिन सजा के तनाव में गुजरा. उनकी तबियत बिगड़ने की बात कही जा रही है. लालू यादव रविवार रात सही तरीके से सो नहीं पाए. उनका शुगर और बीपी लेवल भी बढ़ गया. 

जब मोपेड पर ढोए गए सांड-भैंस !

डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी हुई थी. मामले की शुरुआत में 170 आरोपी थे जिनमें से 55 आरोपी की मौत हो गई है. अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से बुना गया गबन यह ताना-बाना नब्बे के शुरुआती दशक में देश में खासा चर्चित हुआ. 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और बाइक पर ढोकर रांची पहुंचाने की बात कागजों पर दिखी ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों की उपलब्धता हो सके. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान  2,35,250 रुपए में 50 सांड, 14,04825 रुपए में 163 सांड और बछिया खरीदी.  क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस के लिए 84 लाख,93 हजार, 900 रुपए का भुगतान किया था. इसी तरह भेड़ और बकरी की खरीदारी पर भी लाखों रुपए खर्च किए. खास बात यह रही कि  पशुओं और पशुचारा, भूसा, पुआल आदि लाने के लिए भी जिन वाहनों को दर्शाया वे जांच के दौरान स्कूटर, बाइक, मोपेड के नंबर निकले. जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि यह सामान्य आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, गहरा षड्यंत्र है जिसमें सूबे के कर्मचारी, नेता, व्यापारी सबकी भागीदारी रही. बिहार के दो पूर्व सीएम की गिरफ्तारी इस मामले में हुई. लालू यादव के अलावा जगन्नाथ मिश्र भी मामले में गिरफ्तार हुए थे.

चाईबासा में पहली बार हुआ खुलासा

चाईबासा के डीसी अमित खरे ने वर्ष 1996 में पहली बार पशुपालन घोटाले का खुलासा किया था. बाद में कई जिलों से चारा के नाम पर बड़े घोटाले का मामला खुलता गया. पहला मामला मार्च 2012 में चारा घोटाले से जुड़े एक केस में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट के साथ दर्ज हुआ.

रिपोर्ट : समीर हुसैन, रांची