टीएनपी डेस्क: झारखंड के इस जिले में तेजी से आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं. आलम यह है कि यहां हर 60 घंटे पर एक आत्महत्या की बात सामने आ रही है.
क्या है आत्महत्या की वजह
आपको बताते चलें कि झारखंड के गुमला जिले में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है. खासकर युवा वर्ग में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वर्ष 2024 में जिले में कुल 120 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान गंवाई थी. वहीं 2025 के जनवरी से 28 अप्रैल तक महज चार महीनों में ही 48 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. ये आंकड़े जिले के लिए खतरे की घंटी है और सामाजिक ताने-बाने में गहरी दरार भी. आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक संख्या कम उम्र के विद्यार्थियों और वृद्ध लोगों की है. छोटी-छोटी परेशानियों जैसे पॉकेट खर्च के लिए पैसे न मिलना, मोबाइल फोन न मिलना या नशा करने पर परिजनों द्वारा डांटने जैसी बातों पर भी युवा जीवन समाप्त कर रहे हैं. हर 60 घंटे में एक व्यक्ति का आत्महत्या करना गुमला जिले में भयावह सामाजिक समस्या को उजागर करता है. मामूली विवाद के चलते विद्यार्थी आत्महत्या कर अपने परिजनों को गहरे सदमे में डाल रहे हैं. इसके पीछे मुख्य कारण युवाओं में संघर्ष की भावना की कमी और मानसिक दबाव को सही तरीके से संभालने में असमर्थता है. अभिभावक भी अक्सर यह पहचान नहीं पाते कि उनका बच्चा मानसिक रूप से परेशान है. नतीजतन कई जिंदगियां असमय खत्म हो रही हैं.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन डॉ. नवल कुमार
गुमला के सिविल सर्जन डॉ. नवल कुमार का कहना है कि युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का मुख्य कारण तनाव प्रबंधन में कमी और परिवारिक संवाद का अभाव है.
आज की पीढ़ी छोटी-छोटी असफलताओं से टूट जाती है, क्योंकि उनमें सहनशीलता और समस्याओं से जूझने की क्षमता घटती जा रही है. अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ नियमित संवाद करें. उनकी भावनाओं को समझें और जरूरत पड़ने पर मदद करें.
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