टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में यूं तो इंजीनियरिंग कॉलेज का भरमार है. पर इन हजारों कॉलेज के बीच एक ऐसा कॉलेज भी है जो झारखंड की धरती पर बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहाँ तक की इस कॉलेज के आगे तो IIT और RIT भी फेल हैं. यहाँ बात हो रही ISM धनबाद की. आईएसएम यानि की इंडियन स्कूल ऑफ माईनस या भारतीय खनन विद्यालय को औपचारिक रूप से 9 दिसंबर 1926 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा खनन और अनुप्रयुक्त भूविज्ञान के विषयों के साथ देश में खनन गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए खोला गया था. 1967 में इसे यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था. अपनी स्थापना के बाद से, आईआईटी (आईएसएम) ने अपनी गतिविधियों का काफी विस्तार किया है, और वर्तमान में इसे एक संपूर्ण प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान के रूप में देखा जाता है.
वर्तमान समय में आईआईटी (आईएसएम) न सिर्फ धनबाद और झारखंड बल्कि देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में स्थापित किया है. साथ ही इस साल यानि की वर्ष 202 क् में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स के अनुसार मिनरल्स एंड माइनिंग इंजीनियरिंग श्रेणी में इस संस्थान ने वैश्विक स्तर पर 20वां स्थान और भारत में पहला स्थान हासिल किया है. बताते चले कि मौजूद समय में संस्थान में करीबन 10 हजार से भी ज्यादा बच्चे पढ़ रहें हैं.
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद का प्लेसमेंट भी काफी उच्च स्तर का माना जाता है. यहाँ बच्चों का प्लेसमेंट उच्चतम कंपनियों में होता है. संस्थान में उच्चतम पैकेज 83 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक मिलता है. वहीं औसत पैकेज लगभग 17.01 लाख रुपये प्रति वर्ष के लगभग का रहता है.
9 दिसंबर 1926 को हुई थी स्थापना
बता दें कि भारतीय खनन विद्यापीठ को औपचारिक रूप से 9 दिसंबर 1926 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा खनन और अनुप्रयुक्त भूविज्ञान के विषयों के साथ देश में खनन गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए खोला गया था. 1967 में इसे यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था. अपनी स्थापना के बाद से, आईआईटी (आईएसएम) ने अपनी गतिविधियों का काफी विस्तार किया है, और वर्तमान में इसे एक संपूर्ण प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान माना जा सकता है.
Recent Comments